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क्या एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने का उद्देश्य यही था?
कि उनको अपनी तरह से हजारों करोड़ रुपए ऐंठ कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और पूंजीपतियों के इशारे पर उनके लाभ के लिए जनता का शोषण करने अपने कुकर्मों पर राष्ट्रपति की मोहर लगवाओ।
उनका अपने मोटे लाभ के लिए मनमर्जी से उपयोग करो व
जनता के लुटे हुए धन से मोटा 25000 करोड़ का ठेका टीसीएस को देखकर उसमें से 10000 करोड़ हजम कर जाओ।
उद्घाटन के समय लोकसभा के भवन पर उनका नाम अपने से ऊपर ना लिखना पड़े, ना लिखा जाए। जाहिल चाय वाले आपराधिक मानसिकता के मोदी का नाम सबसे ऊपर हो।
इसलिए
उन्हें इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में भी नाम शामिल ना कर
हर कदम ना केवल अपमान, उपेक्षा कर राष्ट्रपति पद व उसकी गरिमा का मजाक उड़ाओ।
निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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