8 सालों में मोदी के सत्ता में आने के बाद पूंजी पतियों के रखेले भेड़िए ने सफाई के नाम पर बाजारों, छोटे व्यापारियों दुकानदारों, उद्योगों की सफाई की, फिर दूसरे षड़यंत्र में कैशलेस, तीसरे में नोटबंदी चौथा में जीएसटी और पांचवां तालाबंदी कर हर तरह से करोड़ों व्यापारियों उद्योगों और उसमें काम करने वाले मजदूरों की कमर तोड़ नष्ट करने का हर षड्यंत्र कर 100करोड 1 रु किलो का गेहूं रु2 का चावल व मुफ्त बांट व खिला गरीबों की फौज का विकास किया।
जिन व्यापारियों और हिंदुओं के टुकड़े खाकर भेड़िया झुंड पार्टी के नेता सत्ता तक पहुंचे, अब उनका कैसे खून पी रहे हैं समझा जा सकता है जब त्योहारों के मौसम में व्यापार का समय होता है तब उनके बाजारों में तोड फोड करके सारे आने-जाने के रास्ते बंद कर देते हैं। बाजारों में तोड़फोड़ के बाद व्यापारी न केवल दुकान बल्कि अपने बीवी बच्चों परिवार को संभालने इज्जत ढांकने उसकी लिपाई पुताई और निर्माण में लग जाता है।
घोर भ्रष्ट जालसाज मनीष सिंह जो 1995 से इंदौर में है। भू, कॉलोनी, नकली पेट्रोल डीजल माफिया, शिक्षा, ड्रग, शराब, खनन, कटाई माफिया प्रिय व उनको पालने वाला जब पूरा देश बंद था। जिसने 180 लंबे काल कर शिमला के किशोर वाधवानी का रु7000करोड़ का गुटका पूरे देश में बिकवा कर मोटी कमाई की।
हर बाजार, औद्योगिक क्षेत्रों को खोलने के नाम पर उसने सियागंज, सर्राफा, मारोठिया, राजवाड़ा, सांवेर रोड, पोलोग्राउंड आदि को करोड़ों रू की मोटी वसूली की। 5लाख से ज्यादा मुफ्त रेमडेसवियर इंजेक्शन को नेताओं को बांट व लाखों में बिकवा सारे निजी हास्पिटल से करोड़ों की कमाई की गई।
आंखिर इंदौर से कब हटाया जाएगा।
जब से इंदौर में है ठीक त्योहारों के समय ही बाजारों में तोड़फोड़ करने का दो दशक पुराना इतिहास रहा है।
जिन व्यापारियों उद्योग पतियों के दम पर जीएसटी सीजीएसटी व अन्य लाखों-करोड़ों पर प्रतिमाह के टैक्स सरकार को मिलते हैं।करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी चलती है।रोजगार मिलता है।
देश की अर्थव्यवस्था चलती है।
वह उन्हीं को ही सबसे ज्यादा खलनायक मान उसके लूट डकैती डाल कर वसूली भी करती है कानूनों में भी फंसाती है, तोड़फोड़ भी करती है। आखिर उनका साथ कौन देगा?
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