गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस
गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस थे। यही कारण है मार्च 1984 में देहरादून में उनकी मृत्यु पर तीनों सेनाओं ने सलामी दी थी। यह सारे कांग्रेसी भाजपा के नेता जानते थे। सब को डर था उनकी पहचान जनता के सामने आने के बाद वह एक तरफा देश के दुनिया के महानायक बन जाएंगे। जनता उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहेंगी। उनके डीएनए की टेस्ट रिपोर्ट छुपा लेने से कुछ नहीं होगा। सच भी नहीं बदलेगा।‌ इसीलिए टेस्ट रिपोर्ट नहीं दिखाई जा रही क्योंकि दोषी तो सभी हैं।‌ बेशक गूगल व विकिपीडिया से पैसे देकर उनसे संबंधित सारी जानकारियां, आर एस एस व अन्य सैकड़ों जानकारियां सन 2014 में हटवा या सच्चाई बदल दी गई। मेरे पास डाउनलोड की रखी थी। पर मेरा कंप्यूटर भी सरकार के निशाने पर था। 23 सितंबर 2019 को पूरा कंप्यूटर बैठा दिया गया। हार्ड डिस्क खुली नहीं। कुछ फोटो दूसरे स्रोतों से एकत्रित किये हैं।
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