अजमेरा उवॉच
जितने भी भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी जिनका नाम क्या करें 13000 करोड़ रुपए के हिसाब के रूप में मांगा है सभी घोर भ्रष्ट हैं। उसमें कुछ नाम कम है जैसे दीपाली रस्तोगी यह भी पिछले 6 साल से पंजीयन वाणिज्य कर आबकारी की पीएस है और जमके बटोर रही हैं।
आपकारी में तो परिवहन की तरह नोटों की बरसात होती है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले एक परमिट पर 5 से 10 ट्रक माल की स्मगलिंग गुजरात और आजू बाजू के प्रदेशों में की जाती है प्रति ट्रक रुपए एक लाख अलग से बांटा जाता है। जिसमें 25 हजार गेट पर बैठा हुआ सहायक आबकारी अधिकारी या जिला आबकारी अधिकारी रख लेता है। बाकी पैसा पाइप लाइन से पीएस मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचता है। इसलिए दीपाली रस्तोगी को हटाया नहीं जाता है। जबकि आयुक्त आते जाते रहते हैं।
फिर एस एन मिश्रा, जिसके पास जल संसाधन नर्मदा घाटी अप परिवहन का चार्ज है।
उसके पास हजार करोड़ रु की नगदी मिल जाए तो कम होगा।
मुख्यमंत्री का खास भ्रष्ट चहेता अधिकारी है।
सुलेमान, राजेश राजौरा व अन्य सभी पुराने कुख्यात डकैत रहे हैं। इनके ऊपर ईडी सीबीआई यू डब्ल्यू लोकायुक्त की जांच भी नहीं होती।
जबकि इनके यहां छापे मारे जाएं तो 2-500 करोड़ रुपए की नगदी मिल जाएगी। वैसे तो सभी भारती प्रताणना सेवा अधिकारी घोर भ्रष्ट जालसाज होते हैं जिनको हजारों करोड़ रुपए धन न केवल भारत की बैंकों से लेकर विदेशी बैंकों में भी होने के साथ हजारों करोड़ उनके फैक्ट्रियों इंडस्ट्रीज और जमीनों में अवैध व्यापार के रूप में लगे होते हैं। आखिर इनकी जांच क्यों नहीं होती?
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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