इस देश की जनता की बर्बादी में सबसे बड़ा जिम्मेदार हैं। टीवी समाचार चैनलों के, समाचार पत्र पत्रिकाओं के जाहिल, घोर लालची मक्कार स्वयंभू पत्रकार जिनकी निगाह में पत्रकारिता जन, समाज राष्ट्र व विश्व कल्याण नहीं वरन पत्रकारिता की आड़ में, डराना धमकाना, अपने अवैध व्यवसायों, सट्टा, भू माफिया कॉलोनी माफिया गुटका माफिया व अवैध धंधे को बचाना, चलाना, पूंजीपतियों, सत्ताधीशों, अधिकारियों के तलवे चाट कर, जनता को सच से दूर भ्रमित करना, ब्लैक मेलिंग से मोटी कमाई कर मौज-मस्ती करना संपत्ति इकट्ठा करना होता है। बेशक दूसरी तरफ सच बोलना यह किसी भ्रष्टाचारी की सच्चाई को बताना, छापना, उजागर करने को भी भ्रष्टाचारी, जालसाज ब्लेक मेलिंग का नाम ही देगा। पर जन, समाज, राष्ट्र व विश्व के वर्तमान व भविष्य के जन कल्याण, पर्यावरण व आने वाली पीढ़ियों के हित संरक्षण में किया कोई भी कार्य दबाव या ब्लेकमेलिंग की श्रेणी में कदापि नहीं हो सकता। अर्थात नियत साफ़, जन हित में हो।
दूसरे जिम्मेदार है इस देश के सबसे बड़े भ्रष्ट जालसाज, लालची, घोर मक्कार, भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी, जो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से लेकर लाखों गांवों के सरपंचों को अपने इशारे पर नचाने के बाद भी जिन्होंने अपना मान सम्मान खो, त्याग कर, अपने क्षुद्र स्वार्थों की खातिर जालसाज पूंजीपतियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, जाहिल राजनीतिज्ञों के इशारे पर नाच देश को जनता व भविष्य की आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
तीसरी हमारे देश की सत्ताधीशों के कुकर्म, अपराध, ज्यादतियां, नोंच, खसोंट, भ्रष्टाचार जाल साजियां, प्रताड़ना, जुल्म झेलकर भी सारे सिर झूका भेड़ चाल चलने वाली जनता। जिसकी भेड़िए ऊन काटते, नोचते, उसके जिस्म की खाल उतार कर खून पीने पर उतारू है। पर वह चुपचाप सब कुछ झेलने के बाद भी सड़कों पर उतरने बगावत करने और घुंट घुंट कर जीने व मरने से पहले शान से ऐसे राक्षसों को खदेड़ने मारने को तैयार नहीं।
पिछले 8 साल से ईवीएम की जालसाजी से नीचे गांवों की पंचायतों से लेकर प्रधानमंत्री तक अगर भूखेरे भेड़िए जालसाजों का कब्जा होगा।
उसी का परिणाम है। जो वर्तमान में हो रहा है। वह आपसे दही रोटी कपड़ा मकान सब पर टैक्स लगाकर लूट कर आपके मुंह से रोटी छीन कर भूख से मारने पर तुले हैं और उस पैसे से मौज मस्ती कर रहे हैं।
पर आप भेड़ो की भांति अपने क्षुद्र स्वार्थों में उलझ कर चुप बैठे हैं। तो तुम्हारे पुरखों ने गुलामी झेली है भिखारियों तुम भी भीख मांग कर दया से खाने जीने के आदी हो तुम भी गुलामी और आने वाली पीढ़ियों को भी गुलामी देकर ही जाना।
ना खुद का स्वाभिमान है। न पीढ़ियों को स्वाभिमान देना।
सभी भिखारियों को एक रुपए किलो का गेहूं ₹2 किलो का चावल दे दिया तो भी चुप। फिर किसी को आरक्षण चाहिए? किसी को शून्य पर भी डॉक्टर, इंजीनियर बनना है। तो किसी को बिना योग्यता, क्षमता, शिक्षा के सरकारी नौकरी चाहिए बस सब मुफ्त में दे दो। वर्तमान पीढीयां भिखारी रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को भी भिखारी ही बनाएंगे। तो फिर ऐसे भिखारी भेड़ों को तो जाहिल ही हांकेंगे ना।
जब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सभी जाहिल होंगे तो देसी विदेशी पूंजीपति जनता को क्यों नहीं लूटेंगे नोचेंगे और बर्बाद करेंगे।
उठो, स्वाभिमान से जागो बैलों, भेड़ों।
अपना अस्तित्व पहचानो मनुष्य बनकर पैदा हुए हो। तो मनुष्य बन कर स्वाभिमान से जीना लड़ना, मेहनत से योग्य बन कर जीना सीखो, पीढ़ियों को सिखाओ और अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर कर जाहिल चांडाल राक्षस सत्ताधीशों की ईट से ईट बजा दो।
बेशक कड़वा तो है। पर नीम की तरह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विषाणु नाशक जीवनदायी औषधि भी है।
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