वाहन का अग्रिम शुल्क वसूलने के बाद आप दूसरा शुल्क वसूल करने के पात्र नहीं
अजमेरा उवाच सत्ता को अपने बाप की जागीर मत समझो। जनता के धन से भी तो लेकर जनता का खून पीने पर तुले हुए हो। स्वयं कानून बनाते हो स्वंय लूटते हो। वाहनों की खरीद पर पार्किंग शुल्क वसूला जाता है कार और मोटरसाइकिल पर दोनों पर ही। जनता कि खून पसीने के धन को लूट कर अधिकांश पैसा भ्रष्टाचार मैं तो हजम किया ही जाता है पर सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों चपरासी सफाई कर्मियों से लेकर राष्ट्रपति तक को वेतन जनता के लुटे हुए करों के धन से मिलता है। जब एक बार आपने जीवन पर्यंत शुल्क वसूल लिया तो इंदौर के रहवासियों के घर के बाहर की सड़कों पर वाहन का अग्रिम शुल्क वसूलने के बाद आप दूसरा शुल्क वसूल करने के पात्र नहीं। कानून कहता है एक ही कार्य के लिए दो बार सजा दंड या भुगतान नहीं किया जा सकता। अपने बाप की जागीर मत समझो जनता को अच्छा है इतना प्रताड़ित करो कि जनता अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए सड़कों पर निकल कर सत्ताधीशों निगम पुलिस की हर बदतमीजी का प्रतिकार करें। दूसरी तरफ गिर लाखों ट्रक और बस जो सड़कों पर खड़े रहते हैं वह तो किसी गैरेज में जा नहीं सकते। उनसे तो रात में पुलिस और निगम कर्मी अवैध वसूली करते ही हैं। पहले उनसे ही वैध पार्किंग शुल्क की वसूली कर लो। जैसे पाटनीपुरा मालवा मिल व शहर के सैकड़ों स्थानों पर जो ठेले वाले सड़कों के किनारे खड़े होते थे बेशक उन 50,000 ठेले वालों की रोजी-रोटी छीन ली गई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शॉपिंग मॉल का फायदा करवाने के लिए, जिनसे इन भूखे भेड़ियों को महीना मिलता है। पर दूसरी तरफ निगम के दरोगा से लेकर पुलिस के हेड कांस्टेबल तक जो हमसे मुफ्त की सब्जी सामान और हर दिन लगभग 12 से 15लाख रुपए की वसूली करते थे। वह सब तो पुलिस कर्मियों से लेकर हेड कांस्टेबल टीआई तक और निगम के पीली गाड़ियों की गिरोह के दरोगा से लेकर उपायुक्त और आयुक्त तक सबको मिलना बंद हो गई ना। ठेलेवालों को जानवरों की हांक कर वसूली के बाद भी राज करते थे। वहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गुलाम बनके उन के टुकड़े तोड़ते हो और उनके सामने दुमें हिलाते हो। अच्छा है जनता को इतना परेशान करो कि वह सड़कों पर निकले। एक बार निकलना शुरू हुई तो नेताओं मंत्रियों मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से लेकर पुलिस प्रशासन सबको औकात याद आ जाएगी। फिर बढ़ती बेरोजगारी और परेशान जनता कभी तो सड़कों पर निकल कर संघर्ष करेगी। इसको भी समझो नहीं तो कल समय समझा देगा। लेखक निवेदक प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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