सर्वोच्च न्यायालय में स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार ने शपथ पत्र देकर कहा है कि किसी को भी टीका लगाने के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा। ना ही उसकी कोई सुविधाएं रोकी जा रही। शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों से निवेदन है कि उन्हें इस संबंध में कोई भी ऐसा पत्र मिले। जो पहले दूसरे टीके व उसके बाद में बूस्टर डोज जगाने के लिए विवश करें और ना लगाने पर उनका वेतन या अन्य उनके सुविधाएं रोकी जाएंगी। ऐसे पत्र को तत्काल ना केवल मुझे भेजें, वरन सर्वोच्च न्यायालय की ईमेल एड्रेस supremecourtofindia@nic.in पर सरकार के देने जारी करने वाले अधिकारी की शिकायत के साथ सर्वोच्च न्यायालय में भेज दें।
डरिए मत डर डर के आप किसी अधिकारी के अंतर्गत नहीं सरकार के अंतर्गत काम करते हैं सरकार से कानून के अंतर्गत वेतन लेते हैं और ऐसा कोई भी अधिकारी आपको किसी भी तरीके से आप उस शारीरिक मानसिक स्वतंत्रता पर हनन करता है। विवश करता है। उसकी शिकायत को सर्वोच्च न्यायालय को f.i.r. फाइल भी करवा सकते हैं। और सभी मजदूर, अधिकारी, कर्मचारी संघों को चाहिए कि ऐसे अधिकारी कलेक्टर, कमिश्नर, प्रधान सचिव, चाहे वह मुख्यमंत्री हो, प्रधानमंत्री, और राष्ट्रपति हो, की शिकायत करें बाकायदा काम बंद हड़ताल करें यह अधिकारी प्रधानमंत्री राष्ट्रपति आते जाते रहेंगे संविधान अपने स्थान पर रहेगा आप के संवैधानिक अधिकारों का कोई भी उल्लंघन करें। उसका मुंहतोड़ जवाब दें। डरे नहीं। वेतन से वेतन वृध्दियों से या अन्य शासकीय दुराशय पूर्ण कार्रवाई से अगर वह ऐसा करता है। तो उसके ऐसे असंवैधानिक पूर्ण कार्यवाहियों, गतिविधियों के लिए आप न्यायालय की शरण भी ले सकते हैं।
आप चाहे आपके पास में यदि आप के वरिष्ठ अधिकारी कलेक्टर कमिश्नर किसी का भी ऐसा जबरदस्ती टीका लगवाने वाला पत्र हो और आपने उसकी जबरदस्ती करने के कारण टीका लगवाने पर कोई आपका साथी अकाल मृत्यु का शिकार हुआ हो, बीमार हुआ हो, परेशानी हुई हो, तो उसकी शिकायत सर्वोच्च न्यायालय में करने के साथ मुझे भी भेजें। उसके खिलाफ f.i.r. लिखवाए और निचली कोर्ट में उसके इस असंवैधानिक कृत्य के लिए मुकदमा फाइल करें।
छोड़े नहीं जो जितना बड़ा अधिकारी है वह उतना ज्यादा भ्रष्ट जालसाज है इसलिए पहले ही वह अपने कुकृत्यों से डरा हुआ है। और कुछ कुकृत्यों सूचना के अधिकार में जानकारी मांग कर उसके विरुद्ध साक्ष्य एकत्रित कर उसमें भी आपराधिक मुकदमा दर्ज करवा दें कोई वरिष्ठ नहीं, मंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद को उसकी बदतमीजी में भ्रष्टाचार आपराधिक ता के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में ठोस साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा फाइल करें। डरे नहीं।
आप जहां पर हैं वह भी दमदार पद है। छोटा हो। या बड़ा वरिष्ठ हो या कनिष्ठ हो। असंवैधानिक भ्रष्टाचार, लूट, डकैती पाखंड आदि कृत्यों के लिए।
जीना है तो लड़ना सीखिए। डर डर के जीना नहीं। मृत्यु के भय को जो अंतिम सत्य है जो कभी भी आ सकती है तो फिर मौत का डर क्यों जब तक जीवित हो अपने अस्तित्व को सिद्ध करते रहो। चाहे चपरासी हो या बाबू।
|