माननीय न्यायाधीश महोदय
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली। supremecourtofindia@nic.in
विषय: बच्चों के माता-पिता के बिना सहमति के स्कूलों के प्राचार्यों पर दबाव डाल जबरदस्ती टीकाकरण किया जाकर भविष्य में जीवन पर्यंत बीमार बनाने का षड्यंत्र पर, आप हस्तक्षेप कर रोक लगवायें।
माननीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि हजारों साल से सर्दी खांसी जन्य २० से ज्यादा बीमारियां होती आई है। जिन की वर्तमान एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में भी अलग-अलग जांचें, औषधियां होती हैं। जिसमें फ्लू, वायरल, मलेरिया, इनफ्लुएंजा, निमोनिया, टीबी, स्वास, अस्थमा आदि सब गायब हो चुकी है पर पिछले 22 महीने से केवल कोरोना, डेल्टा, ओमिक्रान का पाखंड किया जाकर बहुराष्ट्रीय कं. के मोटे लाभ के लिए जिसमें अमेजॉन वॉलमार्ट के साथ भारत की अडानी, अंबानी, टाटा बिरलॉ व चंद मुट्ठी भर को ही फायदा और उनकी संपत्ति कई गुणा हो गई। उनके इशारे पर नाच कर देश में कोरोना का पाखंड किया जा रहा है। आपने देखा 5करोड़ से ज्यादा लोग सुनियोजित 24 घंटे टीवी मोबाइल समाचार पत्रों से दहशत बांट व फैला कर जबरन मानसिक रुप से भयाक्रांत कर बीमार बना सरकारी व निजी अस्पतालों में भर्ती कर मार डाले गये। फिर यदि महामारी है, तो 22 महीने में लोग सड़कों पर, बाजारों में, खेतों में, खलिहानों में, दुकानों में, फैक्ट्रियों, कारखानों, कार्यालयों, वाहनों, रेलो, घरों, स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों में क्यों नहीं मरे?
सबको अस्पतालों में ले जाकर ही, जबकि 90% स्थानों से डॉक्टर भाग चुके थे। वार्ड बाय, नर्सें और सफाई कर्मियों द्वारा जो जिसके मन में आया इलाज के नाम पर रु लाखों करोड़ की जांचों, ऑक्सीजन, रेमडिसबियर, आदि के उल्टे सीधे इलाज करके मार डाला गया।
उसकी आड में जो टीका 15 से 20 साल में, हजारों जांच प्रक्रियाओं से गुजार कर बनता है।
वह सित. अक्टूबर 2020 में तैयार हो गया था। जिस टीके को जबरदस्ती लगाने के बाद स्वयं भारत सरकार के आईसीएमआर ने माना, कि 0.4% जबकि सरकार 1% ही सच बताती है अर्थात 140 करोड़ लोगों को टीके पर 5.6करोड़ लोगों की मौत हुई। टीके लगाने के बाद 50 से ऊपर के 80% लोगों को कोई ना कोई अन्य बीमारी हुई। जिसमें हृदयाघात, लकवा, शरीर के जोड़ों में दर्द ढीले पड़ने के साथ कंपकंपी बुखार जैसी घटनाएं हर साल से ऊपर के युवाओं को भी हुई। पर किसी को कोई इलाज निशुल्क नहीं मिला। उसमें भी सभी निजी चिकित्सा संस्थानों ने मोटी कमाई की।
जिसे आपके निर्देशानुसार 4 लाख रुपए दिए जाने चाहिए थे। किसी को भी नहीं दिया गए। टीके से मौत के बाद में किसी को प्रमाण पत्र भी नहीं दिए गए। गांव की ग्राम पंचायतों से लेकर, नगर पालिका परिषद और निगम मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी नहीं कर रहे और कितने लोग पिछले लगभग 2 साल में मरे उसकी भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही करोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्रों पर भी अस्पतालों से लेकर ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, परिषद, पालिकाएं, नगर निगमों के साथ जिलों के कलेक्टरों द्वारा नहीं दिए गए। लगातार पिछले 12 महीने से टीका लगाने के लिए डरा धमका कर, पुलिस के साथ स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से जबरदस्ती टीकाकरण किया जा रहा है। बदले में ना लगाने पर राशन की सुविधा बंद करने से लेकर बच्चों का स्कूलों में प्रवेश, सार्वजनिक कार्यालय में प्रवेश, बाजारों मंडियों दुकानों मैं संस्थानों को बंद करना पड़ा, लगाना हजारों रुपए का फाइन ठोक सभी के द्वारा मारा पीटी और अवैध वसूली की जा रही है।
जिसमें टीवी मोबाइल और सभी समाचार पत्र जगत के षड्यंत्र में शामिल होकर भयाभय झूठी खबरें बांट व छाप रहे हैं। जबकि भारत सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय की 2013 की साइट पर स्वयं सरकार ने लिखा 23% लोग सर्दी खांसी जन्य बीमारियों से हर दिन मरते हैं जिसमें साडे 6हजार लोग टीबी से 8से 9हजार डेंगू फ्लू वायरल निमोनिया इंफ्लुंजा से मरते हैं तो अब नया क्या हो गया जो कोरोना डेल्टा ओमीक्रांन के नाम पर डरा धमका कर सरकार को तालाबंदी करने का प्लेटफार्म तैयार कर रही है।
ताकि सरकार आसानी से पुनः तालाबंदी करके इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मोटा कमीशन मिल रहा है। उनका फायदा करवा सकें। जिसे भी रोका जाना चाहिए।
अब 18 साल से कम के बच्चों को टीका लगाने का पाखंड करके अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र में शामिल होकर भारत की सरकार में आने वाली पीढ़ी को जीवन पर्यंत विदेशी दवा कंपनी का गुलाम बनाने की तैयारी कर रही है।
जिसे तत्काल आप हस्तक्षेप करके रोकें।
प्रार्थी
प्रवीण अजमेरा
अंबेडकर नगर, एमआईजी इंदौर
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