जनता डरे नहीं खुलकर सामने आकर शिकायत करें, जबरदस्ती टीकाकरण करने के खिलाफ
कलेक्टर इंदौर द्वारा जारी पत्र जिसकी कॉपी में नीचे लगा रहा हूं। का जिसमें जबरदस्ती टीकाकरण करने दुकानों को सील करने, लोगों को परेशान करने उनके खिलाफ f.i.r. लिखवाने का जो पत्र जारी किया था। मैंने सर्वोच्च न्यायालय के ईमेल supremecourtofindia@nic.in पर भेज दिया है। सभी आम नागरिकों से निवेदन है वह उपरोक्त सर्वोच्च न्यायालय के ईमेल पर जितने भी लोग टीका लगने के बाद मारे, किस किस बीमारी का शिकार हुए? क्या क्या परेशानियां हुई? उन सब की जानकारी सर्वोच्च न्यायालय के उक्त ई-मेल पर उनके नाम, पते, आधार कार्ड, वोटर कार्ड नंबर के साथ प्रेषित करें और हर जिले के कलेक्टर को उसके द्वारा जारी पत्र की कॉपियां लेकर सर्वोच्च न्यायालय मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय और राष्ट्रपति को भेजकर इन सारे कलेक्टरों की गिरफ्तारी की मांग करें. यह तो हर टीके के पीछे हजार हजार रुपए हजम कर रहे हैं। इसलिए जानबूझकर लोगों को टीका लगाकर मौत का सामान तैयार कर रहे हैं। जनता डरे नहीं खुलकर सामने आकर शिकायत करें। शिकायत करने से मरने वाले व्यक्ति के लिए 5-5 करोड़ की मांग करें और बीमार होने की दशा में 50-50 लाख रुपए की मांग सर्वोच्च न्यायालय से सरकार से दिलवाने की मांग करें। मैंने सर्वोच्च न्यायालय को शिकायत भेज दी है आप लोग भी भेजिए और वरना कुत्ते की मौत जैसे टीका लगाने के बाद, कोरोना से मरने के लिए तैयार रहिए जैसे अकाल करोड़ों मारे गये। क्योंकि हिंदुओं तुम डरपोक जानवरों की तरह जीने और मरने के लिए पैदा हुए हो। बेहतर होगा जानवरों की तरह सत्ता में बैठे नेताओं और अधिकारियों के आदेश पर मर जाओ। अन्यथा पिछले 21 महीने से मैं तुम्हारी लड़ाई लड़ रहा हूं पर तुम जागने को तैयार नहीं हो। तो मरने को तैयार रहो। 10करोड़ों के मारे जाने के बाद में भी अकल नहीं आ रही। समझो इसे। आज प्रशांत भूषण के द्वारा लगाए हुए टीके और कोरोना की महामारी के पाखंड के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई थी। इसमें सरकार उलझ गई और टीके से केवल एक आदमी को मरना बता रही है जबकि कम से कम 20000 डॉक्टर 15,000 से ज्यादा पत्रकार 25000 से ज्यादा वकीलों की मृत्यु टीका लगने के बाद हुई। सबको सरकार नकार रही है उसमें स्वीकार किया कि टीका लगाना बाध्यकारी नहीं। ना ही टीका लगाने, ना लगाने पर किसी भी शासकीय सुविधा राशन आदि को देने से मना किया जा सकता है। और ना किया है। तो फिर यह हरामखोर भूखे चांडाल जिलों के घोर भ्रष्ट जालसाज भूमाफिया को पालने वाले कलेक्टर सीएमएचओ जनता को कैसे और क्यों परेशान करके डरा धमका रहे हैं? क्योंकि उनको मोटा पैसा मिल रहा है। और व्यापारी कर्मचारी अधिकारी आमजन परेशान ना हो, बाहर निकल कर आवाज उठाएं भेड़ों की तरह गर्दन झुका कर जीने की आदत छोड़ दे। निवेदक लेखक एवं प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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