जाहिल, पाखंडी, सत्ताधीश अपनी असफलताओं, आर्थिक मोर्चे पर हर जगह विफल, देश का दुनिया में भुखमरी के सूचकांक में 116 देशों में 101 वा नंबर, किसान मोर्चा के आंदोलन के सामने सिर झुकाने की विवशता, भारी महंगाई, चीन के सामने हर मोर्चे पर घुटने टेकना, चाहे वह सीमाओं पर अतिक्रमण हो, बाजार पर गहरी पकड़ और यथार्थ में उपभोक्ता बाजार पर 90% वस्तुओं पर अपना कब्जा, जिस गुजरात से पूरे देश और दुनिया में कपड़ा व वस्त्र निर्यात होते थे। अब वहां भी धागा और कपड़ा चीन से आयात किया जा कर वस्त्र निर्माण भी 25% रह गया।
फिर आसन्न चुनावी संकट उत्तर प्रदेश, पंजाब के साथ तीन अन्य राज्यों के चुनाव में भी अपने कुकर्मों के चलते दिख रही हार के संकट को टालने, जनता को नए बीमारी के वेरिएंट के बहाने उलझाने और परेशान करके भ्रमित करने के लिए अब नए वेरिएंट और भयावह खबरों के अतिरिक्त कोई हथियार नहीं बच रहा।
शिक्षित, समझदार होते तो अच्छी सोच और नियत देश को उन्नति के रास्ते दिखाने, चलाने की व्यवस्था करते।
जब जन्म ही चोरों डकैतों के घर में हुआ 15 से 35 साल की उम्र तक ब्लैक मेलिंग डरा धमका कर लूट वसूली और अपराध में गुजरा हो। तो सत्ता के शीर्ष पर बैठने के बाद जो हाथ लगे, जैसे हाथ लगे, जहां से हाथ लगे, लूटो खाओ। देश में नहीं खपे तो विदेशों में जमा करो। जैसा कि स्विट्जरलैंड की बैंकों ने बताया कि जितना धन 65 साल में नहीं पहुंचा था उस से 5 गुना ज्यादा पैसा जून 2021 तक न केवल स्वीटजरलैंड की, बरन मित्र शत्रु देशों की बैंकों में पहुंचा। यही कारण है कि दो नंबर के पैसे को खपाने के लिए वह जाहिल अवैध बिना किसी सरकारी मान्यता की गुंडे बदमाशों जालसाजों के द्वारा चलाई जा रही आभासी मुद्रा क्रिप्टोकरंसी को भी भारत में वैध बनाने की वकालत सार्वजनिक रूप से करने लगा। जिसमें 74 लाख करोड़ रूपया दुनिया की जनता का पहेली डूब चुका था।
7.6 साल में कदम देश की लूट और बर्बादी से स्पष्ट हो चुका है। तो आपराधिक चंडालों को केबल अपनी झूठी वाह वाही करवाने, 50,000 से ज्यादा बैठे आईटी सेल के लोगों के माध्यम से झूठी प्रशंसा करवा कर भ्रमित करने के अतिरिक्त कुछ नहीं आता। इसलिए केवल बीमारी के वैरीएंट के नाम से
भयाक्रांत कर पुनः प्रताड़ित कर चुनाव जीतने का षड्यंत्र है। जोकि इनकी पूर्ण बर्बादी का कारण बनेगा।
केवल उत्तर प्रदेश पंजाब में नहीं मध्यप्रदेश में भी 22 महीने से नगर निगम और पालिकाओं के चुनाव इसीलिए नहीं करवाए जा रहे। पंचायत के चुनाव भी इसलिए टाल दिया गए। आखिर दूसरों को भय बांटने वाले स्वयं कितने भयाक्रांत हैं। इसका अंदाजा बीमारी के नाम से पिछले 21 महीने से चल रहे भय के व्यवसाय से ही स्पष्ट है।
जैसा की कहावत है आदमी एक झूठ छुपाने सौ झूठ बोलता है। एक अपराधी एक अपराध छुपाने 100 अपराध करता चला जाता है।
वही हाल इस भेड़िया झुंड पार्टी का हो रहा है। इससे जनता भले ही बोले कुछ नहीं पर 40 करोड़ लोगों की बेरोजगारी से उत्पन्न भूख, मानसिक प्रताड़ना और कुंठा, 15 से 35 के बीच में युवा पीढ़ी की बढ़ती आत्महत्याएं इनकी भविष्य की बर्बादी का स्पष्ट लक्षण है।
बेचारी बवासीरी अंडभक्त भेडें न तो मुंह खोल पीड़ा बयान कर सकती हैं। ना ही पीड़ा को वहन कर पा रही हैं।
इसे जनता समझे।
लेखक प्रस्तुति एवं निवेदक प्रवीण अजमेरा
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समय माया समाचार पत्र इंदौर
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