उज्जैन की दताना मताना की हवाई पट्टी उज्जैन से १८किमी दूरी देवास मार्ग पर बिहार की एक पार्टी ने साडे 37 लाख में पट्टे पर ले रखा है। जहां से उसकी तैयारी उड़ान प्रशिक्षण देने की है। शासन ने उसको पिछले वर्ष ही आवंटित किया था। जो लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत जिलाधीश उज्जैन के आधिपत्य में है। हवाई पट्टी के आगे 300 मीटर दूरी पर छोटी-छोटी दोनों तरफ पहाड़ियां है। जो एयर ग्लाइडिंग के लिए बहुत सुविधाजनक हैं।
फिर उज्जैन का मौसम 8-9 महीने तक सूखा और एयरोस्पोर्ट्स के लिए सुरक्षित रहता है। चारों तरफ खेत हैं और अधिकांश हिस्सा समतल है।
वहां पर प्रदेश का पहला एयर ग्लाइडिंग स्पोर्ट्स केंद्र खोला जाना चाहिए। ताकि हमारी युवा पीढ़ी को एयर ग्लाइडिंग एडवेंचर स्पोर्ट्स मैं अपना कौशल दिखाने का प्रशिक्षण भी मिले और हमारी युवा पीढ़ी हुई दुनिया में अपना नाम कर सके। जहां तक 200 करोड़ रुपए स्वीकृत करने का सवाल है। कोई मतलब नहीं जनता का पैसा खर्च हो। बेशक मंत्री को उसमें मोटा कमीशन मिलेगा। पट्टी और अच्छा हवाई अड्डा बन जाने के बाद, वह गुजराती भूखे भेड़िए उसे पुन: किसी अपने यार दोस्त को मोटे कमीशन पर ठेके पर दे देगा।
इसे भी समझा जाना चाहिए। फिर इंदौर हवाई अड्डे से उज्जैन की दूरी मात्र 60 किमी ही है। तो भी उज्जैन का यदि व्यवसायिक हवाई अड्डा बन भी गया। तो भी वह इंदौर की व्यवसायिक नगरी के सामने चल नहीं पाएगा और घाटे में जाने के कारण सरकार उसको फिर नीलाम करेगी।
बेहतर यह है कि वहां पर सरकारी स्तर पर एयर एडवेंचर स्पोर्ट्स क्लब खोला जाना चाहिए।
क्योंकि उस हवाई पट्टी को पट्टे पर लेने का प्रयास मैंने भी किया था अपने माइक्रो लाइट डेल्टा पेराप्रॉप्टर एरो स्पोर्ट्स क्लब के लिए।
इसलिए गहराई से छानबीन और भौगोलिक स्थिति का अध्ययन किया था।
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