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अजमेरा उवाच
आखिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गुलाम संकर प्रजाति के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी और नाटो सैनिकों को, तालीबान से समझौते के अंतर्गत जब वापस बुला लिया। तो आखिर 136 हेलीकॉप्टर, अनेकों युद्ध ड्रोन, लाखो राइफल्स से लेकर बख्तरबंद गाड़ियां, सैन्य गाड़ियां गोला बारूद क्या साजिश के तहत अफगानिस्तान में छोड़ा। ताकि तालिबानी आतंक पूरी दुनिया में फैलकर अमेरिकी हथियारों का विक्रय संबंर्धन हो सके। जो कई सालों से मंदी की मार झेल रहा है।
क्योंकि तालिबानियों को अफगानिस्तान में रूस के कब्जे के विरुद्ध पालने वाला अमेरिका ही था।
बाद में जब तालिबानी बिच्छूओं ने अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड टावर उड़ा दिया। वैसे अमेरिका का स्वंय अपने ऊपर आक्रमण करवा कर जिसमें सारे 20,000 एशियाई भाड़े के कर्मचारी मारे गए, जो उसकी थू थू हो रही थी। तत्काल सहानुभूति का पात्र बन जाने के साथ अफगानिस्तान में आक्रमण का अवसर मिल गया।
अब जब नाटो और अमेरिकी सैनिकों ने वह देश खाली करना था।तो सारे हथियारों को भी ले जाना था।
जो हजारों करोड़ के थे। क्योंकि वह कबाड़ा तो, हमारा मोदी ही दो 4 तारीफ के लेख छपवा देते, या जाहिल को नोबेल पुरस्कार की संभावना बता देते। तो भी अंबानी के माध्यम से प्लेटीनम की कीमत के भाव खरीद लेता।
पर दुनिया में तालिबानी आतंक के माध्यम से चीन रूस और पाकिस्तान जो अभी एक तरफा अफगानिस्तान में पैर जमाने का मंसूबा पाले बैठे हैं। उनके देशों में भी आतंकी घटनाएं करवा कर उनके परमाणु हथियारों पर कब्जा कर धमकाने, नष्ट करने या दुरुपयोग करने के षड़यंत्र का नया अध्याय लिखने की तैयारी की जा रही है।
जहां तक भारत का सवाल है। जिसे तालिबानियों आतंकियों को सबसे ज्यादा खतरा है। तो यहां मोटे कमीशन पर कबाड़े को भी सोने के भाव खरीदने और खोखली शान बघारने का शौकीन है।
आपराधिक मानसिकता के ऐतिहासिक गुंडे बदमाश हिन्सा के शौकीन मोदी और शाह को आतंकी घटनाएं उसके लिए अपनी नाकामियों को छुपाने, सरकारी संपत्तियों को नीलाम करने, पूंजी पतियों के लिए कानून बनाने के, चुनाव जीतने, हिंसा की आड़ में जनता और मीडिया का ध्यान परिवर्तित करने, सहानुभूति बटोरने और सहानुभूति की आड़ में चंदा इकट्ठा करने के अवसर तक का काम करती हैं।
भारत की जनता इसे समझे।
निवेदक लेखक एवं प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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