अजमेरा उवाच
15 साल से कुंडली मारे बैठे प्रदेश की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर जमे शिवराज ने हीं लाखों करोड़ की कमाई की हर जिले के 95 से ज्यादा विभागों में बैठे जिला कलेक्टरों से, आबकारी, परिवहन निगम आयुक्तों, जिला अधिकारियों से भ्रष्टाचार करवाकर की। बेशक शिवराज ने प्रदेश की खदानों के अवैध उत्खनन, जंगलों की कटाई, नर्मदा की बुधनी से लेकर होशंगाबाद तक के किनारों से 24 घंटे लगातार रेती के उत्खनन से, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, पंजीयन, शहरी विकास, ग्रह, आबकारी, कृषि, उद्यानकी, लोक निर्माण, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, सहकारिता, नर्मदा घाटी आदि लगभग सभी विभागों से की जा रही है तो क्या खाकर उन पर कार्रवाई करोगे जब तुम खुद भ्रष्ट हो तो एक जिला अधिकारी अगर अपने वेतन की कमाई को खर्च नहीं करता है तो वेतन बचाने का अधिकार तो हर नागरिक है दो नंबर की कमाई को तो खर्च करना ही पड़ेगा ना।
जब खुद ही ईमानदार सत्य, स्वच्छ चरित्र बन जाओ तो दूसरों पर कार्रवाई करना। अपन तो मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार से, भ्रष्टाचार के लिए, भ्रष्टाचार से टिके हैं। फिर चारों तरफ अपने जितने भी आईएएस, आई एफ एस आई पी एस बैठे हैं। सभी घोर भ्रष्ट और जो जितना बड़ा भ्रष्ट, उसको इतना बड़ा पद, उससे उतनी मोटी कमाई, तो किस दम पर कौन सी स्वर्ण भस्म और शिलाजीत गुटिका खाओगे या खा रहे हो जिससे तुम में पावर आ जाएगा तो दूसरों पर पावर की कार्रवाई करोगे। या मोटी वसूली का रेलवे के जेबकट मोदी की तरह सामने से नहीं मिले तो चुरकटो और जेबकटों की तरह जेब का वजन देखो, हाथ साफ करो।
देख लो समझ लो घर का, घर से का मामला है। अभी खुद के घर पर इनकम टैक्स इंफोर्समेंट सीबीआई छापा मार दे तो दो पांच हजार करोड़ का रोकड़ा तो मिल ही जाएंगा। आपके पास भी। क्योंकि आपकी मासिक वसूली को गद्दी बचाने के लिए बार-बार पहुंचाना पड़ता है, ना।
ऊपर मोदी अमित शाह को।
वैसे तो हमारे प्रदेश की 7 करोड़ की आबादी की जहां गरीबी बेरोजगारी और भूख से, सस्ती दारू से, कर्ज से साल भर में मात्र 10-20 हजार लोग ही मरते हैं। में इज्जत के हिसाब से मुख्यमंत्री के पास इतना रोकड़ा तो होना ही चाहिए।
फिर इतनी हूंकार तो भरनी चाहिए।
प्रदेश की बेरोजगारी भूख गरीबी से मरती जनता को भी अच्छा लगता है। जमीन में गाड़ दूंगा। टांग दूंगा।
प्रस्तुति एवं लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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