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मैं पूर्व में लिख चुका हूं। अमेरिकी राष्ट्रपति वाइडेन जो है। पूरी तरह से घोर भ्रष्ट जालसाज चालबाज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर नाचने वाला और उनका गुलाम है उन्हीं के धन और दम से ही वह राष्ट्रपति बना है। तो स्वाभाविक है। उनके निर्देशों का पालन करेगा। दूसरी तरफ अमेरिका पूरी तरह से घोर शोषणकारी, एकाकी, स्वार्थी और मक्कार पूंजीपतियों को हर हर कार्य, तथ्य, षड्यंत्र, युद्ध, दोस्ती, छलावा, पाखंड, कानून, नीतियां, मीडिया, अपने वर्तमान और भविष्य के लाभ के अनुसार निश्चित किए जाते हैं वहां के पूंजी पतियों को लगा चीन की बढ़ती हुई ताकत के सामने अफगानिस्तान में टिके रहने से कुछ भी लाभ नहीं। इसलिए उनके निर्देश पर वाइडेन ने अफगानिस्तान खाली कर दिया।
जबकि अफगानिस्तान उत्तरी और दक्षिणी एशिया का द्वार होने के साथ शताब्दियों से उसका अपना भौगोलिक महत्व रहा है।
वर्तमान में भी खाड़ी देशों से दुनिया के 4 महत्वपूर्ण देशों रूस चीन भारत-पाकिस्तान के बीच बसा हुआ है। चीन की निगाहें अफगानिस्तान पर सदियों से रही हैं। पर पिछले 50 सालों से अफगानिस्तान में रूस और अमेरिका की कुश्ती के चलते वह चुपचाप बैठा था। जबकि उसको वन बेल्ट वन रूट के लिए अफगानिस्तान अति आवश्यक है। ताकि वह आसानी से अपने देश की रेलों को एशिया के उत्तरी कोने तक माल ढोने भेजने बेचने पेट्रोल लाने ले जाने यूरोपियन अमेरिकन देशों में अपना व्यापार बढ़ाने के ताक में लंबे समय से इंतजार कर रहा था।
कब अमेरिका छोड़ें और कब उस पर वह अपने डाले डोरे।
बेशक तालिबानी कबीलाई सोच और सभ्यता ना खुद चैन से बैठेगी ना दूसरे को चैन से बैठने देगी। चीन घात में बैठा है। सिरफिरे पठान पूरे चीन के बाजार को फिर अफीम का गुलाम बनाने का सपने देखेंगे और चीन उनके देश में घुसकर जबकि वह घोर मुस्लिम विरोधी है। तालिबानियों से दोस्ती कर अपना व्यापार फैलाने की आड़ में सत्ता में अपने पैदल बैठाने का काम करने की कोशिश करेंगे और तालिबानी उनकी दोस्ती का फायदा उठाकर चीन में घुसकर पाकिस्तानियों की तरह चीनी मुस्लिम उइगरों और मंगोलियन को मजबूत करने अफीम बेचने का षड़यंत्र करेंगे।
पाकिस्तान और उसकी आई एस आई तालिबानियों के साथ मिलकर पुनः भारत में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ाने के साथ देश और दुनिया में भी आतंकी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर देंगे। चीन तालीबानियों के कंधे पर बंदूक रखकर अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों को धमकाने चमकाने और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में हथियार गोला बारूद देने की महत्वपूर्ण व कुटिल गतिविधियों को संचालित करेगा।
यथार्थ में अफगानिस्तान पाकिस्तान चीन और रूस की आर्थिक और सामरिक षड्यंत्रकारी गतिविधियों का अड्डा बन गया है।
मियां मोदी कि अपनी जाहिल मानसिकता के चलते अगर भारतीयों को वहां से जल्दी नहीं निकाला गया तो अधिकांश भारतीय लोगों को चीन और पाकिस्तान तालिबानिओं का साथ देकर अकाल मौत के मुंह में झोंक सकते हैं।
अब आने वाले समय में देश और दुनिया में आतंकी हिंसा का तांडव ना केवल भारत, रूस, चीन और अमेरिका वरन दुनिया के हर कोने में होना संभावित हो चुका है।
बाकी समय का ऊंट किस करवट बैठेगा वह भविष्य निश्चित करेगा।
पर यह तो सिद्ध हो गया कि अमेरिका की दादागिरी का काल पराभव की ओर है। अमेरिका के सामने अब चीन, उत्तरी कोरिया, रूस तीनों मिलकर आसानी से अमेरिकी वर्चस्व को मंद और कुंद करने के साथ धमकाने का खेल भी खेलेंगे।
लेखक निवेदक एवं प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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