घोर लालची, पद और प्रतिष्ठा के भूखे खानदानी गद्दार, वैसे भेडिया झुंड पार्टी इन्हीं से भरी पड़ी है।
अब यहां सिद्धांत, नैतिकता, ईमानदारी, जनकल्याण सब गौण और अंधेरे कमरों की मकड़ियों के जालों भरी दीवार पर टांगने वाले नारों बदल चुका है।
दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लूट वसूली और उसमें हिस्सेदारी मंत्रियों से लेकर कलेक्टर कमिश्नर एवं निगमायुक्त के कोरोना महामारी के पाखंड की आड़ में पिछले 18 महीने से लगातार दहशत फैला, मुंह पर मास्क बांधकर करोड़ों लोगों को बेरोजगार बनाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मोटा फायदा करवाया गया। उसके पाखंड को पूरा करने आदमी की जिंदगी के दो सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शादी ब्याह में तो 100 लोगों से ज्यादा, और मृत्यु की शव यात्रा में 50 से ज्यादा लोग एक जगह एकत्रित नहीं होंगे।
तो फिर हजारों की बिना मुख पार्टी की भीड़ और राजनैतिक आशीर्वाद यात्राओं चुनावी सभाओं धरने प्रदर्शन रैलियों में क्यों छूट दी जा रही है?
मुस्लिम मोहर्रम नहीं मना सकते।हिंदू अपने त्यौहार नहीं मना सकते। इस पाखंड को 18 महीने से ज्यादा गुजर गया। बाजारों में अभी भी खाकी और पीली लूट वसूली पाखंड धमकाने चमकाने और 24 घंटे मोबाइल टीवी समाचार पत्रों में दहशत व मुंह पर मास्क बांध दम घोटकर करोड़ों लोगों की मृत्यु का तांडव करने वाली प्रशासनिक देसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रखैल तालिबानी गैंग बाजारों में राखी की खरीदी पर भी तांडव करने से बाज नहीं आ रही है।
अपने बाप की जागीर मत समझो सत्ता पद और अधिकारों का भरपूर प्रदर्शन और दोहन कर, 18 महीने से लोगों को भूख, बेरोजगारी, कर्ज, अशिक्षा का भारी तांडव कर लिया।
बंद कर दो। जिस जन धन से वेतन मिल रहा है। जिस जनता के कानूनों से पद पर बैठकर लूट, वसूली और भ्रष्टाचार का तांडव कर रहे हो ज्यादा दिन नहीं चलता।
इसे समझो।
यह त्यौहार ही है। जिनसे आप सब बचे हुए हो। और लोग उसमें व्यस्त हो कर अपनी पीड़ा भूल जाते हैं।
यह त्योहार ही हैं।
जो यहां सब को सम्मान की रोटी खाने के लिए त्योहारों के बहाने रोजी-रोटी चलाने के लिए व्यवसाय भी मिलता है।
18 महीने हो गये। आपको तांडव करते हुए महामारी का। बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मोटा कमीशन हजम कर उनका व्यवसाय बढ़ाने यह बार-बार जो तालाबंदी कर रहे हो लोगों को चमका धमका रहे हो। बिके हुए भूखे भेड़ियों गुलामों जन धन से वेतन लेकर जन कल्याण के लिए बैठाए गए हो। पर गुलामी अमेरिकी और चीनी कंपनियों की कर उनसे मोटा पैसा हजम कर देश को गुलाम बनाने बर्बाद करने पर तुले हो।
करोड़ों लोगों की बद्दुआयें बर्बादी का कौनसा अध्याय लिखेंगी। समझ नहीं आएगा।
यह भी समझो।
मृत्यु तो सबकी एक दिन निश्चित है।
सत्ताधीश राक्षसों, सबको त्यौहार और खुशियां मनाने दो। ताकि करोड़ों लोग सम्मान का जीवन यापन कर सकें।
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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