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अजमेरा उवाच
भारतीय प्रताड़ना सेवा अधिकारी जहां जहां बैठता है वहां लूट पाखंड जालसाजी के सारे खेल खेले जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीटर उसी खेल का हिस्सा है जो 200 से 2000% तेज दौड़ता है। और कम आपूर्ति करने के बाद में भी ज्यादा रीडिंग दिखाता है और उसका सीधा सा खेल सच्चाई इस प्रकार पकड़ी जा सकती है। की कुल किसी शहरी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति की गई उसमें से पारेषण विद्युत क्षति व चोरी घटा दीजिए। के बाद में कितनी आपूर्ति की गई और कितने युनिट की बिलिंग की गई। जिसमें 200 से 500% का अंतर आएगा। जिससे मोटी कमाई की जा रही है। इसीलिए इलेक्ट्रॉनिक मीटर और स्मार्ट मीटर लगाए गए थे।
स्मार्ट मीटर का खेल तो और भी ऊंचा है वह तो ऑफिस में बैठे ही बैठे एक सॉफ्टवेयर के एक कमांड देने मात्र से200%- से लेकर 2000% तक रीडिंग भी ज्यादा दिखाएगा और उसके आधार पर बिलिंग तो आप देख ही रहे हैं किस प्रकार से मनमाने तरीके से की जा रही है।
जनता के लुटे धन को खर्च करके, दूसरी ओर पूर्व में मैंने कल बताया था पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पुत्र मिलिंद और मंदार महाजन की कंपनी पिछले 20 सालों से बिजली के बिलों की बिलिंग मुद्रण का काम करती है। बिल विद्युत मंडल देता है। उस पर केवल नाम पता यूनिट और बिलिंग की राशि डाली जाती है जो मात्र खुला टेंडर निकालने पर 10-20 पैसे प्रति बिल का भुगतान होना चाहिए की अपेक्षा कुल बिलों में वसूली की बिलिंग की राशि का 1% उन डकैतों को मंडल से कंपनियां बनाने के बाद मिल रहा है। अब आप समझ सकते हैं की बिलिंग ज्यादा क्यों की जाती है। और वह काम बिना टेंडर के ताई के लौन्डों को लूटने के लिए ही इस तरीके से दिया गया है। जबकि यथार्थ में उन्हें बिल की राशि से क्या मतलब है। उन्हें प्रति बिल10-20 पैसे एक रुपए ₹2 बिल दिया जा सकता है। बिना टेंडर निकाले यह काम
क्यों और कैसे दिया गया। जब ताई संचार मंत्रालय में थी तब उसने टेलीफोन की बिलिंग का काम भी इसी आधार पर लिया था। और किस प्रकार उसके सांसद होने का लाभ उसकी औलादें न केवल बी एस एन एल की वरन पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के न केवल बिलिंग में बल्कि पूरा मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब लिमिटेड को हजम कर जाने में भी किया गया। चुपचाप लूट का खेल चलता रहा और वह ईमानदार बनी रही। दूसरी तरफ जो सैकड़ों करोड़ की मालकिन है। वह उसने उससे सुप्रीम एवियशन का पंजीयन करवा लिया था और वह नई एविएशन कंपनी शुरू करने की तैयारी में भी थे पर इतना सारा धन एक नंबर में दिखाना संभव नहीं हुआ। जहाज को पट्टे पर लेना दिखाने पर भी सच्चाई सामने आ जाएगी। इसलिए उसको शुरु नहीं किया गया।
किस प्रकार से बीएसएनएल और विद्युत मंडल की कंपनियों को ताई के डकैत सपूतों ने लूटा और डुबोया समझा जा सकता है। इसीलिए ताई आकाश त्रिपाठी को पहले इंदौर कलेक्टर के रूप में वहां से इंदौर में पालती रही विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में। फिर इंदौर के आयुक्त के रूप में, यह सच्चाई सारे समाचार पत्र वाले जानते हैं। पर किसी ने नहीं छापी। यही कारण है कि जब से यह भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी इन विद्युत वितरण कंपनियों में बैठे हैं हजारों करोड़ हर साल हजम कर जाते हैं और यही कारण है कि इतना सब कुछ लूटपाट के बाद में भी सरकारी राज्य का केंद्र का धन भी मिलने के बाद में कंपनियां घाटे में रहती हैं जबकि 25% स्टाफ जो है संविदा नियुक्ति पर काम कर रहा है तो आकर शरद धन कहां जा रहा है क्योंकि यह चांडाल डकैत जिन्हें बिजली का क ख ग घ नहीं आता। आखरी आकर करते क्या हैं यह केवल प्रताड़ित करते हैं पूरे स्टाफ को और खरीदी में रख रखाव में, भुगतान में, दिलों की कई गुना ज्यादा वसूली में भी अपनी वसूली करते हैं।
जनता समझ सकती है किया के हर कदम कदम पर यह सफेद पोष सरकारी डकैत किस प्रकार देश को लूट कर अपना पैसा विदेशों में भेजते हैं।
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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