अजमेरा उवाच
आप सारे सब लोग नेता छोटी-छोटी बातों की लड़ते रहना और वहां पूरे विद्युत मंडल तक बेड़ा गर्क हो जाएगा। यह समझ में आ रहा है।
और हर सत्ताधीश चाहता कि आप छोटी-छोटी लड़ाइयों में उलझे रहो और वह पीछे बड़ा बड़ा खेल करते रहें।
दूसरी तरफ जब सबसे महत्वपूर्ण में इतना लिख रहा हूं बता रहा हूं वीडियो भेज रहा हूं। कि आखिर जब आपके पास ताप और जल विद्युत की साडे 28000 मेगावाट बिजली तैयार हो रही है। उसका आप उपयोग नहीं कर पा रहे आपको 12000 मेगावाट बिजली बाहर बैचनी पड़ रही है। तो हजारों करोड़ के पवन व सौर ऊर्जा के साथ अडानी रिलायंस मोसर वेयर, टाटा पावर व अन्य से बिजली खरीदी के जो अनुबंध हस्ताक्षर किए और उसमें हजारों करोड़ लुटाया जा रहा है। हर महीने तो आखिर क्यों?
फिर भी धड़ाधड़ सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन और खरीदी के 25 पैसे यूनिट की बिजली के ढाई रु मैं खरीदी के अनेकों अनुबंध करते रहो। दूसरी ओर अपने ही भाई वंदों, पूंजीपतियों की कंपनियों से मोटे कमीशन पर अनुबंध क्यों किए जा रहे हैं। साथ ही जब आप पुराने विद्युत मंडल की वर्तमान ऊर्जा उत्पादन के अंतर्गत ताप और जल विद्युत को उपयोग नहीं कर पा रहे, तो महंगी खरीद कर सस्ते में बिजली अन्य राज्यों को और कंपनियों को क्यों बेंची जा रही है। प्रदेश की जनता से महंगी बिजली की कीमत वसूल की जा रही है। तो आखिर क्यों?
विद्युत नियामक आयोग आखिर विद्युत वितरण कंपनियों की बैलेंस शीट और लाभ हानि खाता ही क्यों देखता है?
उसे पावर ट्रेडिंग कंपनी ट्रांसमिशन और उत्पादन कंपनी की बैलेंस शीट भी देखनी चाहिए। इसमें वहां बैठे हरामखोर जालसाज भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी जिन्हें विद्युत का आ व स द नहीं आता और हजारों करोड़ रुपए हजम करके वह सारे फर्जी खर्चों को वसूली में जोड़कर जानबूझकर घाटे में पहुंचा रहे हैं। और उसके बाद में घाटा दिखाकर कंपनियों को बेचने का षड्यंत्र कर रहे हैं तो तुम्हारे कर्मचारी नेता अभियंता संघ नेता आखिर इन सब बारीक जालसाजियों को उजागर कर जनता के सामने व मिडिया में क्यों नहीं रखते? क्यों दबाव नहीं बनाते कि जब सरकारी कंपनियां है तो सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 में सारे के सारे बिजली खरीदी के अनुबंध, बिक्री व अन्य सारे दस्तावेज अपलोड क्यों नहीं करते और आखिर तुम्हारे बाप की जागीर है कि एक तरफ हजारों करोड़ हर महीने बिना एक पैसे की बिजली खरीदें भुगतान करते रहो।
मेंटेनेंस का आधा पैसा खा जाओ आधे पैसे से उल्टा सीधा काम करवा दो। और पूरा विद्युत मंडल के संरचना का निजी क्षेत्रों में देने के लिए बड़ा गर्क करो।
छोटी-छोटी बातों में उलझा के रखो और उलझ के रहो। और धीरे से पीछे से वो भेड़िया झुंड पार्टी के चांडाल सत्ता धीश पूरे कानून बनाकर कंपनियों को चटकाते रहें।
यह कब समझ में आएगा ग्रुप में मैने इसलिए नहीं जोड़ा था कि आपस में छोटी छोटी सी बातों को और ओबीसी को लेकर अपनी छोटी-छोटी सफलता के झंडे गाड़ कर उछलते कूदते रहो।
विद्युत मंडल की लड़ाई लड़ने के लिए पूरा ग्रुप बनाया था। ताकि आप उसे एक मंच पर आकर तरीके से सत्ता के निजी करण के मंसूबों पर पानी फेर सको।
ना तो सारी जानकारियां आप के नेता और अभियंता इकट्ठा कर पाए ना तथ्यों को लेकर सामने रख पाए ना उसके आधार पर लड़ाई लड़ने की कोई रूपरेखा बनाई और औचित्य हीन विवादों में समय बर्बाद कर रहे हो सबका अपना सबका।
जबकि मैं उम्मीद कर रहा था कि आप लोग सूचना के अधिकार में अंदर की जानकारी एकत्रित करके सारे जो एग्रीमेंट साइन किए हैं खरीदी के बिक्री के आपूर्ति के आउटसोर्सिंग के उन सब के तत्वों को निकाल कर इनकी बैलेंस शीट को चैलेंज करो इनकी खर्चों को इनकी बर्बादियों लूटपाट को सामने रखकर इनसे जवाब सवाल करो कि किस प्रकार से जानबूझकर कंपनियों को बर्बाद करके जनता को और कर्मचारियों को शोषण करके कंपनियों को घाटे में दिखाकर बेचने का सृजन किया जा रहा है उस पर तो कोई काम नहीं किया आप लोगों ने, जबकि सबसे पहले वही काम करना चाहिए और अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है उठो, तथ्यों की जड़ में जाकर तथ्य इखट्टे करो। फिर बताओ किस प्रकार से यह घोर डकैत सफेदपोष जालसाज हजारों करोड़ हजम कर जनता को लूटने का बिलों से उल्टे सीधे षडयंत्रों से एक तरफ जनता को बर्बाद कर रहे हैं 20 20 साल से संविदा के कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं और हजारों करोड़ हजम कर पूरी कंपनियों को बर्बाद कर रहे हैं।
कब लड़ाई में जनता आपके साथ आएगी और तब आप सफल हो पाएंगे कानून फानून कुछ नहीं जैसे बनाए गए हैं। वैसे फाड़ भी दिए जाएंगे और रद्द कर दिए जाएंगे।
बशर्ते कि आप की लड़ाई के साथ ठोस आधार और जनता शामिल हो। इस को आधार बनाएं। बड़े अनुभवी अभियंताओं को साथ लें। जिनके पास ज्ञान अनुभव और जानकारियां हैं।
इसे समझें।
लेखक प्रस्तुति एवं निवेदक प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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