प्रदेश की सीमाओं पर वापस 36 वाणिज्य कर के नाके शुरू कर दें
म प्र के मुमं शिवराज को चाहिए, कि वह प्रदेश की सीमाओं पर वापस 36 वाणिज्य कर के नाके शुरू कर दें। ताकि एसजीएसटी की जो चोरी प्रदेश में माल लाकर की जाती है। उसको नाकों पर ही रोका जा सके। क्योंकि सीजीएसटी की सेंट्रल कस्टम एक्साइज उसके पास तो ड्रेस पहने हुए वर्दीधारी कर चोरी रोकने वाले पूरे अधिकार संपन्न अधिकारियों कर्मचारियों की फौज है।
जीएसटी काउंसिल वैसे भी बड़े पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दलालों का गिरोह है।
और वह पूंजीपतियों व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माल उत्पादन और बिक्री मैं अधिकतम कर चोरी कानूनों की पेचीदकी का लाभ उठाकर कैसे करना है। और छोटे दुकानदारों व्यवसायियों उद्योग पतियों के व्यवसाय को खत्म करने उसका दुरुपयोग कैसे करना है इसका ख्याल रखती है इसलिए अपने राज्यों की आय बढ़ाने की व्यवस्था स्वयं राज्य सरकार को अपने राज्यों की सीमाओं में कैसे करना है यह ख्याल उसको रखना है इसलिए आवश्यक है कि सभी लोगों को एंटीईवे्जन ब्युरो की तरह अपनी सीमाओं में रहकर कर अपवंचन को रोकने के प्रयास में और अपने राज्यों की वित्तीय व्यवस्था सुधारने के लिए सतत सारे प्रयास करना चाहिए। अन्यथा केंद्र सरकार ने छल कपट पूर्ण तरीके से उसके हाथ से उसके राज्य में उत्पादित व क्रय विक्रय किए हुए माल पर भी बड़े व्यवसायों का जो एसजीएसटी जो था। सीधा अपने खातों में अंतरित कर राज्यों को वित्तीय रूप से कमजोर करने के साथ राज्यों से संग्रहित एस जी एस टी आईजीएसटी सब बटोर कर ले जाने के बाद में भी राज्यों के हिस्सा को मांगने पर पिछले 4 साल से समय पर और पूरा ना देने के कारण राज्यों को वित्तीय रूप से आत्यधिक खोखला वह कमजोर बना दिया है।
बेशक संविधान के अनुच्छेद 42 में राज्यों को अपनी वित्तीय व्यवस्था और अपने करों पर वसूली का पूर्ण अधिकार है। परंतु जैसा कि मैंने लगातार सन 2010- 11 से लिखा था कि जीएसटी लगने के बाद सारा कर केंद्र सरकार बटोर कर ले जाएगी और राज्यों को अपना हिस्सा मांगने के लिए कटोरा फैला के उनके सामने खड़ा होने पर भी केंद्र नहीं देगी और इस तरीके से राज्यों को वित्तीय रूप से कमजोर कर भिखारी बना दिया जाएगा। वह स्थिती स्पष्ट रूप से सामने 4 साल में आ चुकी है। इस महत्वपूर्ण तथ्य को न केवल मध्य प्रदेश को बल्कि देश के सभी राज्यों को बारीकी से समझ कर अपने राज्यों की सीमाओं के नाकों पर कर अपवंचन को रोकने के लिए पुनः चालू कर दिया जाना चाहिए। चाहे वह मालवाहक व माल सेंट्रल कस्टम एक्साइज का हो, या राज्यों के जीएसटी का परंतु माल वाहनों पर लदे माल के बिलों की चेकिंग नाकों पर की जाना आवश्यक है। अपेक्षाकृत सड़कों पर टोल ठोकने और डीजल पेट्रोल की कीमतें बढ़ाकर सीधे जनता को वित्तीय रूप से संकट में डालने से सीधे ही हर वस्तु की कीमत पर असर पड़ रहा है रोकी जानी चाहिए और लूट की सीमा होनी चाहिए आखिर लागत रु 25/- पेट्रोल डीजल की कीमत से दुगना रु45/-अकेला मध्यप्रदेश ही टैक्स ले लेता है। इसके बाद में ना संविदा कर्मचारियों को देने के लिए समय पर वेतन है ना नियमित कर्मचारियों को देने के लिए वेतन वृद्धि, महंगाई और लंबित भुगतान तो आखिर सारा धन कहां लूटाया जा रहा है।
फिर सेवानिवृत्त होने पर जानबूझकर थके हुए बूढ़े अक्षम, बीमारी पुराने कर्मचारी अधिकारियों को संविदा पर 2 गुना 3 गुना वेतन देने से बेहतर है। कि नए कर्मचारियों अधिकारियों की भर्ती की जाए। जो एक तिहाई वेतन में हमारी युवा पीढ़ी कंप्यूटर जानकार होने के साथ नए लोगों के रोजगार से समाज को भी नई दिशा मिलेगी।
सरकार कुछ गिने-चुने पूंजी पतियों को अपने मोटे कमीशन के लिए पालने की अपेक्षा छोटे उद्योगों, व्यापारियों, व्यवसायियों को अधिकतम सुविधाएं, सस्ता बिजली, पानी, जमीन, कच्चा माल और सुरक्षित बाजार उपलब्ध करवाये। जितने ज्यादा व्यापारी होंगे उतने ज्यादा खातों से एसजीएसटी भी मिलेगा। इसका भी ख्याल रखें। और गंभीरता से सोच कर पुरानी कर वसूली और अपवंचन रोकने के लिए पुराने नाकों की व्यवस्था को पुनः शुरू करें।
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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