सारा पाखंड निजी स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालयों के संचालकों का षड्यंत्र। निजी और सरकारी स्कूलों, कॉलेजों की फीस देना बंद कर दीजिए। तत्काल स्कूल खुल जाएंगे
निजी और सरकारी स्कूलों, कॉलेजों की फीस देना बंद कर दीजिए। तत्काल स्कूल खुल जाएंगे क्योंकि सारा पाखंड निजी स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालयों के संचालकों का षड्यंत्र है। वे हरामखोर जालसाज विद्यार्थियों के माता-पिता से तो पूरी फीस वसूल कर रहे हैं। 10-20% शिक्षकों को ही ऑनलाइन के पाखंड से विद्यार्थियों को पढ़ाने का नाटक कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता में पढ़ाई के नाम पर 35 करोड़ विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद किया जा रहा है। जो बाल मंदिर से लेकर विश्वविद्यालयों की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। 10-20% शिक्षकों को भी 50 से 70% वेतन देकर छात्रों की शिक्षण शुल्क की मोटी कमाई अंटी कर रहे हैं। दूसरी तरफ 50 से 90% शिक्षकों को काम नहीं तो वेतन नहीं, के आधार पर कोई वेतन नहीं दे रहे। यथार्थ में सभी राज्यों के शिक्षा मंडलों, शिक्षा मंत्री से लेकर सरकारी विश्वविद्यालयों मैं पंजीकृत निजी कॉलेज ही अपने दो नंबर की कमाई से पूरे तंत्र को हाथ कर अपनी इच्छा अनुसार शासकीय शिक्षा विभाग को चलाते हैं यह भी सच है की 90% स्कूल इन्हीं नेताओं मंत्रियों अधिकारियों के पूत सपूतों पुत्रियों बहू बेटियों के होते हैं। जिनका पावन उद्देश्य, महिला शिक्षाकर्मियों के यौन शोषण से लेकर शिक्षा विभाग के सचिवों प्रधान शिक्षकों जिला शिक्षा अधिकारी, जिलाधीश तक को यौनाचार परोसकर अपने तरीके से शरीफ जलसा जिया करना निर्णय करवाना परीक्षा में अंक दिलवाना छात्रों का पासवर्ड करके मोटी कमाई करना अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति हजम करना तक के सारे षड्यंत्र करके मोटी कमाई का खेल करते हैं। इसलिए कोई जानबूझकर सरकार पर दबाव डालकर स्कूल नहीं खुलने दे रहे हैं आप यह कितना अच्छा है कि बिना भवन की साफ-सफाई रखरखाव और सारे खर्चों विद्युत पानी के बचत करते हुए वह एक कमरे में 10 शिक्षकों को बैठाकर सारा खेल करके 90% शिक्षकों की वेतन बचाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। यह हरामखोर चांडाल जो हैं, सभी स्कूल कालेज ना खुलने देने के लिए महामारी के पाखंड की आड़ में सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। संभावित है कि इस पाखंड की आड़ में धीरे-धीरे जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गूगल माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स का जो षड्यंत्र है। कि सारे देशों की शिक्षा संस्थानों को पद्धतियों को खत्म कर दो। और सबको अमेरिका कि इन कंपनियों के माध्यम से दुनिया में एक स्थान से हांक और ऑनलाइन पढ़ाने का पाखंड कर अपने तरीके से गुलाम बनाओ। निसंदेह अगर यही हाल रहा तो भविष्य में इस देश की युवा होती हुई पीढ़ी कभी शिक्षण संस्थानों का मुंह नहीं देख पाएगी और यह शिक्षण संस्थान अभी बदमाशी करके स्कूल नहीं खोलने के माध्यम से मोटी कमाई करने का सपना देख रहे हैं यह हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे इससे सरकार को बहुत मोटा फायदा होने वाला है और सरकार भी इनके षड्यंत्र में शामिल होकर शिक्षा और छात्रवृत्ति आदि पर लाखों करोड़ों जो पूरे देश में खर्च करती है वह सारा खर्च बचाने की तैयारी में है। फिर जाहिल मोदी को तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां धन देकर मल के टीके भी लगाए तो भी चलेगा उसकी बला से सारे देश की आबादी मर जाए वह नौटंकीबाज पाखंडी फकीर विनाश सत्यानाशी पुरुष को कोई फर्क नहीं पड़ेगा उसकी बला से देश के सारे उद्योग चौपट हो जाए सारे संस्थान बिक जाए सारे शिक्षण संस्थान खत्म हो जाए सारी विदेशी कंपनी आज देश को हक है उस वीडियो को तो अपनी व्यक्तिगत मौज मस्ती 7 साल में 100 करोड़ रूपए खाने पर खर्च करने से मतलब है। वह भेड़िया मोदी राक्षस प्रतिदिन ₹50हजार का खाना खा जाता है। चाहे ₹50हजार साल की ग्रामीणों की वार्षिक आय हो ना हो। इसलिए इंडिया झुंड पार्टी के गंदे और नीच सूकरों से जनहित की उम्मीद करना बेमानी है। आवश्यक यह है। यदि आपको अपने बच्चों का भविष्य बचाना है। तो तत्काल सभी निजी शिक्षण संस्थानों को बिना किसी दबाव में आए सभी प्रकार का भुगतान करना बंद कर दें। सीधे ही धमकी दे बच्चों का नाम कटवा दें और ज्यादा आपको/पालकों को कुछ भी डराना, धमकाना करें, परेशान करें तो परेशान करने ब्लैकमेल करने दवाब बनाने के आरोप में आपकी f.i.r. स्कूल में लिखवा देंगे। अपने बच्चों को घरों पर पढ़ाये, और हर कक्षा की अंत में निजी स्तर पर सरकारी स्कूलों में परीक्षा दिलवा कर अंकसूची प्राप्त कर लें। पांचवी आठवीं दसवीं के जो सरकारी शिक्षण संस्थानों होते हैं। वहां पर से अपने बच्चों को निजी स्तर की परीक्षा दिलवा कर पांचवी की परीक्षा जिला स्तर पर, आठवीं की परीक्षा संभाग स्तर पर, दसवीं बारहवीं की परीक्षा मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल प्रदेश स्तर पर लेता है, का प्रमाण पत्र व अंकसूची प्राप्त करें। प्रस्तुति, लेखक एवं निवेदक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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