अजमेरा उवाच
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार 15 साल से केवल कागजी रिकॉर्ड बनाने में जालसाजी का राष्ट्रीय स्तर है किसी भी योजना किसी भी कार्य सबका कागजी आंकड़ों मैं बढ़ा चढ़ा कर दिखाने के बाद उसकी आड़ में हजारों करोड़ के घोटाले करके हजम कर जाना शिवराज और उसके पाखंडी जालसाज घोर धूर्त आईएएस अधिकारियों का बाएं हाथ का खेल है।
जबकि
टीका लगाने से पहले हर किसी का बीपी नापने आवश्यक है। दूसरा यदि उसको अन्य ज्यादा बीमारियां हैं जिसमें मधुमेह हाई बीपी जैसी बीमारियां है। जिससे बहुत सारे लोग मर चुके हैं ऐसे लोगों को टीका नहीं लगाना है।
पर रिकॉर्ड बनाने के लिए बिना बीपी नापे अन्य पूछताछ किए जिसने हाथ बढ़ाया उसी को ठोक दिया।
फिर टीका की आपूर्ति कर्ता कौन था। कितने टीके भेजें? कहां कहाँ कितने वितरण किए गए? दूसरी तरफ जब सब टीका लगाने वालों का पंजीयन वेबसाइट पर हो रहा है तो वह सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही। ताकि मालूम पड़ सके किसने कहा टीका लगवा लिया किसने नहीं लगाया। और कितने लोग जहां टीका लगाना दिखाया जा रहा, वहाँ रहते ही नहीं है उसका नंबर दूसरे प्रदेशों, दूसरे जिलों का है।
फिर टीका तो माइक्रोसॉफ्ट की बिल गेट का उसकी मॉडर्ना फाइजर कंपनी का 40 साल पुराना षड्यंत्र है उसी षड्यंत्र के अंतर्गत भारत में सन दो हजार सत्रह अट्ठारह से ही आरटी पीसीआर किट सप्लाई की जाती रही आखिर क्यों मरने वालों के लिए चेन लगे बैग भी पूरे देश के सारे शहरों में नर्सिंग होम्स और सरकारी निजी अस्पतालों में पहुंच गए थे। कैसे और क्यों? 22 मार्च 2020 के बाद सर्दी खांसी जन्य 20 से ज्यादा बीमारियां जिसमें डेंगू फ्लू वायरल बुखार इनफ्लुएंजा निमोनिया स्वास अस्थमा टीवी जैसी बीमारियां जिनसे 40% लोगों की मौत होती है। कहां गायब हो गई? उनसे मरने वालों के साथ अन्य बीमारियों यथा मधुमेह हाई लो ब्लड प्रेशर हृदय आघात कैंसर पेट जैसी बीमारियों किडनी लीवर से मरने वालों सरकारी आंकड़ों के अनुसार जो कुल मृत्यु के 55% होते हैं। सबको आखिर कोरोना से क्यों दिखाई गई? और जब कोरोना में मौत दिखाई गई तो उनके मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना क्यों नहीं लिखा जा रहा। अर्थात सरकार और उसके कसाई सरकारी व निजी क्षेत्रों के डॉक्टर जो यथार्थ में एलोपैथी के सभी डॉक्टर आई एम ए आईसीएमआर जोकि भारत में डब्ल्यूएचओ की पाखंडी षड्यंत्रकारी लूट और कमाई की दुकाने चलाती हैं। सरकार में बैठे मंत्रियों से लेकर सारे आईएएस ऑफिसर जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी उसमें मोटा कमीशन हजम करते हैं इसलिए कोई सच नहीं बताता और यह सारा षड्यंत्र डब्ल्यूएचओ वॉलमार्ट अमेजॉन अदानी अंबानी टाटा बिरला आईटीसी युनिलीवर मिलकर सारे बाजारों को खत्म करने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 95.4% सारे घातक पैकेज्ड फूड को जनता को बेच कर बीमारी फैलाती हैं और उससे डब्ल्यूएचओ को धन देने वाली दवा निर्माता उपकरण मशीनें बनाने वाली कंपनियां मोटी कमाई करती हैं। एक तरफ जनता को 800 करोड़ से घटाकर शो को बुलाने का षड्यंत्र दूसरी तरफ पूरे देश को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चंगुल में फंसा कर जनता को लूटने का षड्यंत्र का नाम है कोरोना की महामारी और उसका टीकाकरण टीका लगाने के बाद जिंदगी भर के लिए आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दवाइयों इंजेक्शन ओं मशीनों के गुलाम होकर उनकी कमाई के लिए जीवन पर्यंत ग्राहक बन जाएंगे उस का षड्यंत्र है इसको कोई पत्रकार समझ पाए। जो सच बोलेंगे फिर क्या दलीलें देंगे पाखंड की बस मैं पत्रकार होने का छद्म आवरण ओढ़े सरकार की हुआ हुआ करेंगे। यही सच है। भारत के और दुनिया के पत्रकारों का। कोई भी इस षड्यंत्र की जानकारी को बारीकी से गहराई में घुसकर पढ़ना और जनता को बताना समझाना और प्रकाशित व प्रसारित करना नहीं चाहता। अन्यथा ना केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रखैल मोदी की सरकार बरन अमेरिका इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया जर्मनी जापान कनाडा फ्रांस सब विकसित अर्ध विकसित और विकासशील देशों की सच्चाई सामने आ जाएगी। जब पूरी दुनिया में कोरोना था तो अफ्रीकी देशों में जो गरीब थे वहां कहीं कुछ नहीं हुआ कोई बीमारी नहीं फैली क्योंकि वहां धन ही नहीं था जो लूट सकते यह लोग।
डब्ल्यूएचओ दुनिया की सबसे घोर भ्रष्ट जालसाज संस्था में उसके धन देने देने वाली पाखंडी यूरोपियन इंसुलिन टीका दवाइयां चिकित्सा मशीनें उपकरण इंजेक्शन सीटी स्कैन मशीन x-ray डॉप्लर मशीन ऑक्सीमीटर डायबिटीज बीपी देसी हाय लाखों करोड़ की कमाई करने वाली कंपनियां डब्ल्यूएचओ में अफ्रीका से पकड़कर लाए मात्र एमएससी पास माइक्रोबायोलॉजी के टेंड्रोस को इसलिए अध्यक्ष बना कर बैठाला है। कि तू तो रबर स्टैंप बन कर बैठ जैसा नचाये वैसे नाच। दुनिया में मीडिया को खरीद कर हमारी अफवाह फैला और माल बिकवा।
इस षड्यंत्र को देश और दुनिया की सरकारों में बैठे घोर जालसाज सत्ता धीश वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय मोटा पैसा दवा निर्माता कंपनियों के साथ अमेजॉन वॉलमार्ट से लेकर पाखंड की आड़ में मौतों का तांडव करवा रहे हैं इसके बारे में देश दुनिया का मीडिया सच्चाई को बताने की अपेक्षा महामारी का तांडव करने में मगन है जनता इसको समझे और अब तो 15 महीने गुजर चुके हैं सच्चाई सामने हैं। मुझे मत मानिए। परिस्थितियों और घटी हुई घटनाओं का विश्लेषण करिए सच्चाई की गहराई में जाकर आंकलन कीजिए। यथार्थ को समझिए।
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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