कृपया अंधभक्त नहीं पढ़े।
जिन लोगों को सरकारी प्रशासनिक, नगर निगम, पालिका, पंचायत, कर्मचारी अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मचारी, अधिकारी, डॉक्टर, वैक्सीन लगाने के लिए डरा धमका कर विवश कर रहे हैं।
उनसे लिखित में लीजिए। इन सबके वीडियो बनाइए मोबाइल रिकॉर्डिंग कीजिए जिस पर ऐसी वैक्सीन लगाने की बातें की जा रही हैं।टीवी के सारे प्रोग्राम जो वैक्सिंन लगाने के लिए बाध्य कर रहे हो और उसकी अच्छाइयां बता रहे हो उनकी रिकॉर्डिंग कीजिए। जो न्यायालय में सबूत के तौर पर काम आएंगी। ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों डॉक्टरों से बहस कीजिए उसकी ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग कीजिए। प्रश्न पूछिए उत्तर मांगिए।
वैक्सिंन लगाने के बाद
कुछ भी हो गया तो जैसे बीमार हो गए तो 50लाख, अपंग हो गए व्हाइट फंगस, ब्लैक फंगस या अन्य कोई बीमारी, स्थाई अपंगता हो गई तो 5करोड़ सरकार और मौत पर घरवालों को ₹1करोड़ देगी।
फिर भी जिन लोगों ने वैक्सिंन लगवा लिया था उनके परिजनों की मौत हो गई है उनका सर्टिफिकेट लेकर जाइए।
मौत का प्रमाण पत्र लेकर जाइए। उस जिले के कलेक्टर सीएमओ मध्य प्रदेश सरकार मैं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य प्रधान सचिव और सरकार के मुख्य सचिव के साथ केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव और मंत्री भारत सरकार पर वैक्सिंन लगवाने का प्रमाण पत्र वैक्सिंन लगने के बाद बीमार होने और मृत्यु होने के प्रमाण पत्र इलाज के सारे खर्चे के साथ 50 लाख तक से लेकर 50 करोड़ तक के मुकदमा न्यायालय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दायर कर दीजिए। कि जब किसी भी व्यक्ति निर्माता कंपनी नहीं देश में या विदेश में डॉग वायरोलॉजिस्ट इम्यूनोलॉजिस्ट ने पूरा ढंग से ट्रायल नहीं किया। उसको फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अमेरिका, ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ऑफ इंडिया या अन्य देशों के औषधि नियंत्रक प्राधिकारी ने जब मान्यता, स्वीकृति ही नहीं दी, उनके उचित परीक्षण चूहों, खरगोशों, सूअरों, बंदरों के बाद मनुष्यों पर परीक्षण उचित तरीके से नहीं किए।
तो सरकार, सरकारी कर्मचारी अधिकारी नगर निगम कर्मचारी अधिकारी पुलिस स्वास्थ्य मंत्रालय के कर्मचारी, डॉक्टर, सांसद, विधायक, पार्षद, पंच, सरपंच, जनता को डरा धमका कर, राशन नहीं देंगे, बीज नहीं देंगे, खाद नहीं देंगे, स्कूलों में प्रवेश नहीं देंगे, दुकानदारी नहीं करने देंगे, कार्यालयों में नहीं जाने देंगे, यह पाबंदी से लगा कर प्रताड़ित करके डरा धमकाकर वैक्सीन लगाने को क्यों मजबूर कर रही है, और वैक्सीन लगाने के लिए दुष्परिणाम सामने आए बीमार हुए, मौत हुई, उन सब के लिए केंद्र व राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, सचिव आयुक्त, जिले के कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम, आयुक्त, उपायुक्त, पालिकाओं के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, स्वास्थ्य जिम्मेदार है। जिला एवं सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण फाइल कर सबको कोर्ट में घसीटो। ताकि सरकार को उसकी औकात और विश्व बैंक से $76अरब, एशियन विकास बैंक से $48अरब, वॉलमार्ट अमेजॉन मुकेश अंबानी के रिलायंस फ्रेश रिलायंस रिटेल, अडानी, टाटा बिरला यूनीलीवर आईटीसी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मोटा कमीशन व धन खाकर जो खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 का कानून बनाया गया था। जिसमें सारी मंडियां, बाजार, दुकाने खत्म करने का स्पष्ट षड्यंत्र की व्यवस्था कर सारा व्यापार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शॉपिंग मॉल को सौंपने की कानूनी व्यवस्था कर दी है। उसके अंतर्गत जानबूझकर महामारी फैलाकर तालाबंदी का पाखंड किया गया और महामारी के पाखंड को सच सिद्ध करने के लिए वैक्सीन जो बिना उचित परीक्षण और उत्पादन के पूर्व में स्थापित मानदंडों के निर्माण कर मोटे कमीशन पर खरीद कर
वैक्सीन लगाकर जानबूझकर देश के 140 करोड़ लोगों की जिंदगी के साथ अपने घोर लालच और स्वार्थ के लिए खिलवाड़ किया जा रहा है। देश के जाने-माने प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ केके गुप्ता जैसे हजारों डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मियों की मौत के साथ लाखों लोगों की मौत भी वैक्सीन लगाने के कारण हो गई। इसके विपरीत केंद्र व राज्यों की सरकार और उसकी सारा प्रशासनिक तंत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर नाच कर बर्बाद करने पर तुले हैं इसलिए इसकी क्षतिपूर्ति की केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारी कर्मचारी और मंत्री जिम्मेदार हैं।
इसलिए वो क्षतिपूर्ति का भुगतान देने के बाध्य हैं।
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प्रस्तुति, लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा,
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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