अंधभक्तों नाम और बदनाम करने का काम नहीं है, मेरा। मैं केवल जनता के कल्याण के लिये अपनी लेखनी चलाता हूँ।
फिर जो वह 7 सालों से चांडालों का गिरोह कर रहा है। उसका ही परावर्तन शब्दों में दे रहा हूँ।
अगर मेरे धरती के सहयात्री मेरे सामने करोड़ों लोग बेरोजगारी, भूख और पाखंड में अकाल मृत्यु के शिकार हों, सत्ताधीशो के लिये अभिशाप हों न हों। मेरी धरती की जीवन यात्रा के लिये अभिशाप हैं।
निस्संदेह मैं भी आम आदमी की भांति तिनका हूँ। पर तिनके तो मोदी शाह सभी हैं। सभी की आंख मिंची और सांस रुकी। सबको ही मिट्टी में मिल जाना है।
तो फिर करोड़ो लोगों की आंखों में आंसू क्यों?
हजारों साल के सत्ता के तलुवे चाटने वाले गुलामों सच और स्वाभिमान तो तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा ही नहीं रहा। फिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गुलाम बना दिये हो। इसका होश नहीं अंधभक्तों।
7साल की बर्बादियों, मौतों के तांडव से पेट नहीँ भरा, तो अभी 3 साल और बाकी हैं। भीख मांगने लायक भी नही छोड़ेगा।
आने वाली पीढ़ियों को तुम्हारी अंधभक्ति, मक्कारी क्या दे रही है। इससे उनका भविष्य क्या होगा?
अगर घास नहीँ चरते हो, तो बुद्धि से कभी सोचा।
बेशक कड़वा है, फिर ये गिध्दों की फौज तो देश को, संस्थानों को, जनता को नोंच कर तिगुने से ज्यादा धन विदेशों में भेज चुकी है।
जो 65 सालों में उन्होंने खड़ा किया, देश में ये भेड़ियों का झुंड उसी को तो बेंच रहे हैं ।
अगर अंधभक्तों यह समझ और दृष्टि नहीं तो, आंख मींच कर घर में बैठो। और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारों पर सरकारी फैलाये षड्यंत्र के अंतर्गत बांटी जा रही दहशत और अपने हाथों से ही मुंह पर मास्क बांध अपना दम घोंटकर बीमारी पालों, सहो, में पड़ो, अस्पतालों में लाखों रुपये लुटाकर भी अकाल मृत्यु के शिकार बनो।
यही 14 महीने से हो रहा है। अगर समझ नहीं आ रहा तो, अंधभक्तों
शुभकामनाएं
प्रस्तुति व लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदोर
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