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भेड़िया झुंड पार्टी के 303 सांसद तीन चांडालों मोदी अमित शाह और सीतारमन को छोड़ दिया जाए तो 300 क्या घास काट रहे हैं? क्या हरामखोरों के पास अपनी अकल नहीं जनता ने तुमको चुनकर भेजा है। इनको भी अपने-अपने क्षेत्रों में जनता को शक्ल दिखानी है आखिर जनता की इस बर्बादी के बाद यह तीन सौ के 300 अपना मुंह छुपाए क्यों घूम रहे हैं यह तीन सौ मिलकर और 3 आदमियों को पलटा नहीं सकते। क्या इतने नामर्द चुनकर गंदे नाली में लोट लगाने वाले भेजे जनता ने,
7 साल की बर्बादी देश की तबाही से इन 300 शूकरों की अक्ल जागृत नहीं हो रही है। घास चरते हैं क्या? जो 300 इन तीन तानाशाहों की बदतमीजीयां बर्बादिया झेल रही है। जनता ने बगावत की तो 300 सबसे ज्यादा घेरे में आयेंगे। कब तक कहां तक दौड़ेंगे? वह 3 तो जेड प्लस की सिक्योरिटी में रहते हैं उस से क्या होगा? यह तीन सो भी तो इन सारे दुष्कृतम् जनता की बर्बादी भूख से मौत के लिए जिम्मेदार हैं ना केवल 303 वर्ष पूरे देश के 543 सभी सांसद जिम्मेदार हैं आखिर आवाज क्यों नहीं उठाते क्यों हल्ला नहीं मचाते? क्यों नहीं रोकते इनकी बदतमीजीयों को? क्या सारा ठेका राहुल सोनिया गांधी के पास में ही है। 300+240 ताली ठोकने के लिए पैदा हुए थे वहां पर। यह सारे टुकड़े खोर जानवर टुकड़े खाकर मुंह खोलना ही भूल चुके हैं। यह भी जिम्मेदार हैं यह भी लोकसभा के सदस्य हैं किसी ने आवाज उठाई किसी के मुंह से आवाज निकली आखिर क्यों और कब तक क्षेत्र की जनता इन 540 से पूछती क्यों नहीं?
ठीक है ईवीएम के फ्रॉड से जीतकर वहां पहुंच गए पर अभी कहने को तो सांसद ही हो ना अपनी आवाज उठाना तो सीखो हल्ला तो मचाओ। यह सब जनता को बर्बाद और मरता हुआ देखकर कफन चोर धन लूटने भरने में लगे हुए हैं कब जागेंगे बचे हुए सांसद, पूरे देश के राज्यों के विधायक और सारे दूसरी अन्य पार्टियों के नेता किसी के मुंह से बोल नहीं फूट रहा।
क्या सब के मुंह में मोदी का गोबर भरा हुआ है? जनता की लाशों पर लूट करने बैठे हैं।
जनता को बाहर निकलकर इन से पूछ्ना, सबके कान मरोड़ने आवश्यक है।
क्या इसीलिए वोट दिया गया था।
जागो जनता तुम्हारी चुप्पी और नामर्दानगी का सभी नेता, पार्टियां, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, सांसद, फायदा उठाकर तुम्हारी ही मौत का कारण बन रहे हैं।
मरने से पहले कुछ करो अन्यथा कुत्ते की मौत मरने के लिए तैयार रहो।
जैसे विचारे अस्पतालों में कसाई डॉक्टरों की लूट के बाद में भी जानवरों की मौत मर के चले गए। उन्हीं की तरह हम आप का भी नंबर लग सकता है।
और यह सबका नंबर लगाने की तैयारी में बैठे हैं।
24 घंटे दहशत बांट कर मुंह पर मास्क बांधकर सेंटेंस करवा कर फिर भी जिंदा रह जाओ तो टीका ठोक कर, और फिर भी जिंदा रह जाओ तो तालाबंदी में बेरोजगारी से भूख से मर कर कब तक जानवरों की जिंदगी जिओगे?
इंसान हो इंसान की तरह पेश आओ। आवाज उठाओ। वरना मौत तो निश्चित ही है बेशक चांडाल राक्षस मोदी, अमित शाह, सीतारमण, डॉ हर्षवर्धन की भी, तो बेहतर है जानवरों की मौत मरने से पहले अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने सड़कों पर कूद पड़ो।
अगर बीमारी थी, है, तो 5 राज्यों की विधानसभाओं में चुनावों के समय मोदी शाह व अन्य अनेकों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों सांसदों विधायकों ने मुंह पर मास्क बांधे बिना लाखों लोगों की रैलियों को सभाओं को संबोधित क्यों किया? और 13 महीने से महामारी है तो लोग सड़कों पर मर गए क्या?
सब की मौत अस्पतालों में ही हो रही है आखिर षडयंत्र के अंतर्गत क्यों 24 घंटे सरकारी चांडालों द्वारा मोबाइल टीवी समाचार पत्रों मैं दहशत बांटकर, आदमी को दिमागी कमजोर बना, मुंह पर मास्क बांधकर दम घोंट कर बीमार बना मौत का तांडव किया जा रहा है। उसकी आड़ में तालाबंदी कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सारा देश गुलाम बनाने का षड्यंत्र कर मोटा कमीशन खाया जा रहा है। कब तक और क्यों?
इसे भी समझो।
लेखक प्रस्तुति एवं निवेदक
प्रवीण अजमेर
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
samaymaya.com
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