इस पत्रकार रोहित सरदाना की मृत्यु से अन्य पत्रकारों को जो टीवी चैनल, दैनिक समाचार पत्रों में काम करते हैं, सीख लेनी चाहिए। कि यदि हम अपने छुद्र स्वार्थो और हितों की खातिर देश की जनता व देश की बर्बादी के सच से दूर भ्रष्ट, जालसाज, निकंमे, हरामखोर अधिकारियों, सत्ताधीशों के तलुवे चाट कर अगर बरबादियों को पालते रहेंगे। तो एक दिन वह हमारी, हमारे परिवार की, समाज की और देश की बर्बादी व मौत का कारण बनेगा व भविष्य क्या हो सकता है? इसको समझिए।
वक्त है अभी भी जनहित को सर्वोपरि मान जनहितों के विरुद्ध चलने वाले सभी अधिकारियों कर्मचारियों मंत्रियों संत्रियों, विधायकों, नेताओं, सांसदों के सच कहो बताते छापते, रहिए। ताकि दुनिया की भीड़ से दूर आप अपनी आत्मग्लानि का शिकार ना हों। कभी भी। और अंतिम समय में मृत्यु के वक्त आप प्रभु चरणों में निवेदन कर सकें प्रभु आपने मुझे जो कार्य दिया। उसको मैंने अधिकतम ईमानदारी से पूरा किया है। और आपको अपना व जनहितों का सच मृत्यु के समय याद ना आए बल्कि आपको प्रसन्नता हो कि आपने धरती पर आकर अपने जीवन काल में अपने पेशे के साथ न्याय कर कल्याणकारी काम किए हैं।
इति:
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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