22 मार्च 2020 के पहले भी देश में 80 हजार लोग हर द‍िन बीमारी से मरते थे, कोरोना से क्या 2-5 लाख मरने लगे, जो तालाबंदी
22 मार्च 2020 के पहले भी देश में प्रतिदिन सर्दी खांसी बुखार जन्य बीमारियों से डेंगू, वायरल, फ्लु, इनफ्लुएंजा, मलेरिया, निमोनिया, अस्थमा, टीबी, श्वांस आदि आदि के अलग-अलग वायरस, परीक्षण व प्रमाणित होते थे। सबकी अलग-अलग दवायें दी जाती थी। जिसकी संख्या मौतों में लगभग 20से 22000 प्रतिदिन की थी। बदलते मौसम में मोतीझरा, पीलिया, पेचिश, डायरिया, डिहाईड्रेशन, इन सभी मौतों की संख्या 8से10 हजारों की थी। वर्तमान में 33% मौतें ह्रदयाघात से होती हैं। कैंसर किडनी लीवर और पेट की बीमारियों से भी 15 से 20000 लोग मरते हैं प्रतिदिन। तब तो भारत बंद नहीं होता था। कर्फ्यू नहीं लगाया जाता था। 22 मार्च 2020 के बाद अब सारी मौतें केवल करो ना से हो रही है और से कर्फ्यू लगा कर आम गरीब 50 करोड़ लोगों को जिनका 130 करोड़ का परिवार है। तालाबंदी का पाखंड कर बेरोजगार बनाकर 130 करोड़ लोगों को, जिसमें 80 करोड़ लोग अति गरीब हैं। भूख से मारा जा रहा है आखिर क्यों अपने बाप की जागीर है। देश के चांडाल प्रधानमंत्री मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज और उसके सारे प्रशासनिक अधिकारी, तुम्हारा बाप देगा इनको रोटियां। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एजेंटों श्मशान में जलती चिताओं कि फोटो दिखाकर लोगों को भयभीत करने वाले हरामखोर जाहिल पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों डॉक्टरों नामी-गिरामी महान समझने वालों बस भागे दौड़े अपनी नाकामियों को छुपाने मोटी वसूली करने अपने खास लोगों का व्यवसाय करवाने तालाबंदी करवा दो वैसे भी यह इंदौर का कलेक्टर मनीष सिंह पूंजीपति बहुराष्ट्रीय कंपनियों शॉपिंग मॉल वालों बड़ी बड़ी होटलों अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों, गुटका माफिया किशोर वाधवानी का खास दल्ला है। वही हाल भोपाल में कलेक्टर अविनाश लवानिया, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दामाद है। दोनों ही घोर लालची दोनों हाथ से बटोरने में लगे हैं इस तालाबंदी और महामारी के पाखंड की आड़ में, फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी कलेक्टरों को करोड़ों की बस उनकी रायल्टी पर बैठाया है। ऐसा नहीं है क्यों सत्ताधारी दल ही खा रहा हो। उसके पूर्व कांग्रेस का कपट नाथ भी यही कर रहा था। प्रदेश में देश का सबसे महंगा पेट्रोल डीजल गैस कुल कीमत से दुगनी कीमत पर और शराब 20 गुनी कीमत पर बेची जाती है। अपने इन दुष्कर्मों को छुपाने जनता को भूख से मारने मरने वालों की जमीन और संपत्तियां हड़पने सारे नेता एक सुर में राग अलाप रहे हैं। क्योंकि यह सब अमर फल खाकर आए हैं और सभी संपत्तियां इनको मिलने वाली है। प्रदेश के तीन करोड़ गरीब भूख से मरते हो, तो कल के मरते हो तो आज मरे। उनकी चिकित्सा के नाम से पैसा भी मिलेगा, और चान्डालों को उनकी संपत्तियां इसलिए सारे रंगा बिल्लाओं का गिरोह हुआ हुआ करने में लगा है।
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