आदि मुद्रा में एकाग्र चित्त होकर की गई अपने इष्ट देव से सुरक्षा की प्रार्थना
दोनों अंगूठों को चार उंगलियों की मुट्ठी में बांध कर पद्मासन में दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखकर अर्थात आदि मुद्रा में एकाग्र चित्त होकर की गई अपने इष्ट देव से सुरक्षा की प्रार्थना उत्तर पूर्व के बीच नैऋत्य कोण में कभी भी कहीं भी, केवल सभी प्रकार की सुरक्षा की कामना यथा बीमारी, महामारी से, भय, शत्रुओं से, आर्थिक तंगी से, चांडालों से सुरक्षा के लिए करने के साथ आपके ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने और सभी प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा में अपने व अन्य लोगों का नाम व पता बोलकर या मस्तिष्क में दूसरों का ध्यान कर टेलिपैथी से प्रयोग की जा सकती है। यह आपको व जिसके लिये की गई है, आत्मबल, मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करती है। जो सभी आयु वर्ग के स्त्री पुरुष कर सकते हैं। इसका तत्काल लाभ मिलेगा। इसलिए इसे बच्चों को भी सिखाएं। बतायें।
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