दमोह में, बंगाल, आसाम, तमिलनाडु, केरल, पुड्डीचेरी में चुनाव है वहां कोरोना नहीं है। वहां से वह प्रसूति अवकाश पर गायब है।
बाकी पूरे प्रदेश, देश में करोना फैल रहा है।
85% देश की जनता को जो खाद्य सुरक्षा देने का षड्यंत्र सन 2014 से चल रहा है। उसी की तैयारी का हिस्सा है करोंना महामारी। उसकी आड़ में लॉकडाउन लगाओ। उनके धंधे रोजगार दुकानदारी सब चौपट कर दो। आम गरीब की सब जमीन जायदाद बिक जाए और वह सारी संपत्ति इन हरामखोर चांडाल नीच राक्षसों अदानी अंबानी टाटा बिरला आईटीसी युनिलीवर के साथ भेड़िया झुंड पार्टी के नेता मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री व तड़ीपार अमित शाह खरीद कर अपने नाम कर लें। १२० करोड़ लोगों को गरीब भिखारी बेरोजगार बनाकर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का फायदा करवाओ।
जब वह भिखारी और गरीब हो जाए तो उन 85% लोगों को रु१ किलो का गेहूं, रु२ किलो को चावल देकर जानवरों की तरह हांको। और भूख बेरोजगारी बीमारी से तड़पा तड़पा कर मारो जैसा कि बिल गेट्स और उसकी पत्नी मिरिंडा गेट का डी पापुलेशन फाउंडेशन सन 1980 से इस बात के षड्यंत्र में लगा हुआ है यह दुनिया में सारा खेल जो है यथार्थ में बीमारी नहीं वरन सरकारों को जिस चांडाल बिल गेट, अमेजॉन के जेन बेजोफ, वॉलमार्ट के वारेन बुफेट ने लाखों करोड़ लुटा कर खरीद कर अपने इशारे पर नचाना, और देश को गुलाम बनाकर नोचने का षड्यंत्र कर रखा है।
उसका हिस्सा है महामारी।
सर्दी खांसी जुकाम आज से नहीं हजारों साल जो रहे हैं और उससे जुड़ी हुई 20 से ज्यादा बीमारियां जिसमें फ्लू, वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, निमोनिया, इनफ्लुएंजा व इससे जुड़ी अनेकों बीमारियां, अस्थमा स्वास टीबी आदि से लोग बीमार होना बंद हो गए।
अब जो भी बीमार हो रहे हैं वह केवल करोना नाम की बीमारी से ही बीमार हो रहे हैं। और उसी से ही मर रहे हैं यह पूर्ण षड्यंत्र है 24 घंटे आप मोबाइल पर टीवी पर समाचार पत्रों में पहले भयावहता का षड्यंत्र करो। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को भयानक तरीके से डराओ। और फिर हर बदलते मौसम में, पानी बदलने पर, कूलर, एसी में तापमान के उच्चावचन से, अचानक फ्रिज का पानी पी लेने से भी सर्दी खांसी जुखाम गले में खराश होते ही उसको कोरोना का भय पैदा करके अस्पतालों की तरफ दौड़ लगवा दो। और इस प्रकार अस्पतालों में ऐसे पीड़ित लोगों की बड़ जाए। तो उसके समाचार बढ़ा चढ़ा कर दिखलाओ।
फिर मार्च 2020 से डेंगू, टाइफाइड, हृदयाघात, रक्तचाप, मधुमेह, यकृत, प्लीहा, गुर्दे, कैंसर, पेट की समस्याओं से पीड़ित, उल्टी दस्त हैजे के, भुखमरी, कुपोषण, बुजुर्गियत, उम्र पूर्ण होने व अन्य बीमारियों से जो कुल मौतों का 80% होते हैं सब मरना बंद होकर, अब केवल कोरोना नाम की बीमारी से ही मर रहे हैं। अब अन्य प्रकार की सभी बीमारियों के बीमारों व मौतों को भी इसमें शामिल करके आंकड़े उसमें शामिल कर, कर अखबार वालों को टीवी वालों को सो सो 200 मिनट के विज्ञापन देकर बढ़ा चढ़ा कर बोलने छापने और दहशत फैलाने का 4-4 पेज के सरकारी और अपने फर्जीवाड़े के विज्ञापन देकर वे कई गुना बढ़ाकर आंकड़े जनता को भ्रमित कर दहशत बांटते रहो।
उससे ही सबसे ज्यादा लोग मर रहे हैं अपेक्षाकृत कोरोना नाम की बीमारी के।
पर यह सच बात ना कमीशन व टुकड़े खोर कांग्रेसी बिके हुए नेता भी नहीं बोलेंगे। इसलिए बेबी चाहते कर्फ्यू लगा दिया जाए ताकि उनके अस्पतालों को सरकार मोटा कमीशन व इलाज करने वाले बीमारों के नाम मोटा धन बांटती रह उनका मुंह बंद कर सकें।
पिछले साल तो सरकार ने काला भी बांट दिया था जिसको उबाल करके पीने से भी सर्दी खांसी जुकाम ठीक हुआ। और लाखों लोग अस्पताल से बचे रहे।
जनता समझे से और अनावश्यक रूप से भयभीत ना हो। आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी वीडियो झुंड पार्टी के वीडियो तो लूट ही रहे हैं कांग्रेश भी आपकी लड़ाई नहीं लड़ेगी क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों से यथा अदानी अंबानी टाटा बिरला युनिलीवर आईटीसी वॉलमार्ट अमेजॉन से उनके नेताओं ने भी मोटा कमीशन खाया है इसलिए वे भी भेड़िया झुंड पार्टी के भेडियों की तरह हुआ हुआ करके जनता को लूटने में ही विश्वास रखते हैं। वे निकलकर पाखंड के, महंगाई के, नगर निगमों, पालिकाओं, कलेक्टर कमिश्नर प्रशासन पुलिस के तांडव और बर्बरता के विरुद्ध साल भर से आपने देख लिया। कोई सतत जंगी, धरना प्रदर्शन सरकार से पूछताछ नहीं की। जैसा कि विपक्ष में रहकर भेड़िया झुंड पार्टी 40 साल तक करती रही।
वह भी देख रहे हैं कि बंगाल में, पुडुचेरी, केरल, असम, तमिलनाडु में चुनाव हो रहे हैं दमोह में चुनाव हो रहे हैं वहां करोना नहीं फैल रहा। पर जहां चुनाव नहीं होते हैं वहां पर कांग्रेसी नेता भी औपचारिकता के स्तर पर पिल्लों की तरह भू-भू करके चुप हो जाते हैं। ₹25 का पेट्रोल ₹100 बिक रहा है पर उनके मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही। तो इस प्रदेश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ही है कि यहां केवल दो ही राजनीतिक पार्टियां हैं जो ऊपर एक साथ बैठकर रोगन भोजन भोजन चाय पानी पार्टियां करते हैं औपचारिकता के तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करके चुप हो जाते हैं।
इसलिए है गुलाम भेड़ों रूपी जनता बाहर निकल कर अपनी आवाज स्वयं उठाओ।
|