भेड़िया झूंड पार्टी के चांडाल अमित शाह नरेंद्र मोदी ने अपनी ही पार्टी के कई नेताओं को जो वरिष्ठ और बुद्धिजीवी थे, जिसमें अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनिल माधव दवे जैसे अनेकों थे। या तो उनकी चिकित्सीय हत्या करवा दी या उनको हाशिए पर जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी जशवंत सिन्हा, सुब्रमण्यम स्वामी, गोविंदाचार्य, व अन्य सैकड़ों को डाल कर उनका भविष्य चौपट कर दिया।
जहां तड़ीपार आपराधिक मानसिकता के चांडालों का कब्जा है।
मीडिया के बिकाऊ भड़वे उनके हर दुष्कर्म, भ्रष्टाचार, लूट, डकैती, वसूली, पाखंड, झूठ मक्कारी सेना के जवानों अर्धसैनिक बलों की जानबूझकर की गई हत्याओं को भी चुनाव जीतने का हथकंडा बनाकर जनता में भय फैलाकर एक तरफ जनता के मस्तिष्क में मानसिक दबाव बनाते हैं. तो दूसरी तरफ ईवीएम की जालसाजियों से पूरा चुनाव लूट ले जाते हैं।
इन चांडालों के राज में सच बोलना, अफवाह फैलाना।
इनकी सच्चाई बताना, विरोध करने वालों को ही आतंकी घोषित कर देते हैं। हरामखोर।
और उसमें इनके अंधभक्त हुआ हुआ करने वाले संघ के और मीडिया के भेड़िए निरीह जनता रुपी भेड़ों को हर तरह से ऊन काटने के साथ उनकी खून चमड़ी और हड्डियां भी अपने पूंजीपति घोर नीच राक्षसों के मोटे लाभ और व्यवसाय लिए, सफाई के नाम, नोटबंदी, जीएसटी और अब साल भर से महामारी के नाम पर खाने चबाने लूटने बेचने में लगे हुए हैं।
वैसे तो इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि 90% हुआ हुआ करने वाले मीडिया के भेड़िए भी अकल, शिक्षा, अध्ययन, समझ चिंतन, भविष्य में झांकने की और सोच व ठोस निष्कर्ष निकालने और देने की क्षमता कुछ भी नहीं, स्वाभाविक है जो मीडिया के टुकड़ खोरो को टुकड़े डालेगा यह उसके हिसाब से अपनी दुम हिला कर जनता की तरफ मुंह करके टीवी चैनलों अखबारों में भौंकते और छापते, चौबीसों घंटे भय बांटते रह कर करोड़ों लोगों की बेरोजगारी और भूख से इतर दूर की छद्म और औचित्यहीन भ्रमित करने वाली सामग्री परोस कर जनता की मौत का इंतजाम करते रहेंगे।
आखिर नेता अंधभक्त मीडिया के हुआ हुआ करने वाले यह ना समझे कि इन आपराधिक चांडाल से कोई बच कर जाएगा।
आज गरीब जनता को अकाल मौत देने के लिए सारे षड्यंत्र, मुंह पर मास्क बांधकर दम घोंट कर शीघ्र मृत्यु की व्यवस्था, बार-बार सैनिटाइजर लगाने से अल्कोहल आपकी सूंघने की, रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने से लेकर, ना केवल आंतरिक रूप से ह्रदय, फेफड़ों, लिवर किडनी आंखें, कानों की क्षमता कमजोर करेगा रचे जा रहे हैं। महामारी के नाम पर साल भर हो गया वायरस नहीं, बीमारी नहीं, दवाई नहीं, फिर भी 6 महीने में टीका बना कर ठोके जा रहे हैं। ठीक है ठोकने के बाद में भी लोग मौत के भी शिकार हुए संक्रमित भी हुए और बीमार भी हो रहे हैं।
अस्पतालों में भर्ती कर लाखों रुपए लूटकर भी, मृत मरीजों की आंखें लीवर किडनी गुर्दे सब निकाल कर बैच के खाने के साथ-साथ, परिजनों को डरा धमका कर बिना मुंह और शरीर दिखाएं पन्नी में बंद करके चुपचाप आग में झोंक दिया जाता है।
आखिर मौत के बाद इसीलिए बायोप्सी और ऑटोप्सी नहीं की जाती ताकि इन हरामखोर चांडाल डॉक्टरों की सच्चाई जनता के सामने ना जाए। इन खबरों की सच्चाई सामने आने के बाद में भी जनता जागने को तैयार नहीं, पुलिस, प्रशासन, निगम कर्मियों से लुटने पिटने मरने को तैयार अवश्य है।
फिर जो कल जनता के साथ हो रहा है वही सरकारी कर्मचारियों को जबरदस्ती टीकै ठोके जा रहे हैं। आखिर क्यों जबरदस्ती क्यों करोगे।
सड़कों पर पिछले १०- 15 सालों से ही रोज औसत10000 सड़क दुर्घटनाओं में मौत के शिकार हो जाते हैं। 10000 आदमी ह्रदयाघात, 8000 आदमी कैंसर से 10000 आदमी सर्दी खांसी जन्य बीमारियों फ्लु, वायरल, फीवर इनफ्लुएंजा, मलेरिया स्वाइन फ्लू,अस्थमा सांस खांसी टीवी से मरने का 20 साल पुराना रिकॉर्ड है। तो नया क्या हो गया जो इतना हड़कंप तालाबंदी देश बंदी कर्फ्यू का नाटक कर केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ही लाभ करवाने का षड्यंत्र है ना।
जागो भेड़ो, इंसान के रूप में जन्म लिया है तो अपना अस्तित्व तो सिद्ध करो।
वरना तुम तो जैसे तैसे रो, धोकर, बेरोजगारी भूख से मौत से अगर बच गए तो अस्पताल में अकाल मौत के शिकार हो चले जाओगे, पर आने वाली पीढ़ियों का क्या होगा?
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