जिस कम्पनी पर बिल गेट्स का हाथ हो उस कम्पनी की वैक्सीन की एक्सपायरी डेट को भी मोदी सरकार बढ़ा देती है, ओर कोई कुछ नही बोलता !...... मजाक नहीं !.....यह बिलकुल सच है
हम सब अच्छे से जानते है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड वेक्सीन को बनाना बहुत पहले से शुरू कर दिया था वो भी तब जब सरकार की मंजूरी भी उसे नहीं मिली थी... इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने स्टोरी भी की थी कि सीरम इंस्टीट्यूट की इस जल्दबाजी से कोविशील्ड की लाखो डोज नियर एक्सपायरी हो रही है
सरकार ने भी जल्दबाजी में इसे आपातकालीन मंजूरी दी और कोविशील्ड का इस्तेमाल शुरू हुआ ........भारत में सेकड़ो स्वास्थ्यकर्मियों की मौत वेक्सीन लगाने के बाद हार्ट अटैक से हुई लेकिन सरकार के माथे पर जू भी नहीं रेंगी। ....लेकिन यूरोप में ऐसा नहीं चल पाया यूरोप के देशो ने पाया कि मानव शरीर में रक्त के थक्के जमने और कोविशील्ड में कुछ न कुछ संबंध तो जरूर है, लगभग 15 देशो है एक के बाद एक करके इस पर प्रतिबंध लगाया......
दो दिन पहले कनाडा ने भी यह कह कर कोविशील्ड वैक्सीन को 55 साल से कम उम्र के लोगों को लगाने पर रोक लगा दी कनाडा की टीकाकरण पर बनी राष्ट्रीय परामर्श समिति की अध्यक्षा डॉ. शेली डिक ने जो कहा है उसके बारे भारत देश के तमाम टीकाकरण विशेषज्ञों को एक बार जरूर सोचना चाहिए ...........डॉ. शेली डिक ने कहा, ’55 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन देने से होने वाले संभावित खतरे के मुकाबले इसके लाभ को लेकर काफी अनिश्चितता है.’.....… डिन ने यह अनुशंसा यूरोप से आए आंकड़ों के बीच की है, जिसके मुताबिक वैक्सीन से खून के थक्के जमने की आशंका प्रत्येक एक लाख में से एक मामले में है, जो पूर्व में प्रत्येक दस लाख में एक घटना के पूर्वानुमान से कहीं अधिक है ......
अब भारत मे यह आंकड़ा 50 हजार है ? , लाख है ? ,10 लाख हैं ? या 1 करोड़ है ? यह भारत के विशेषज्ञ जाने...... लेकिन यहाँ समस्या यह है कि कोई कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नही है..........यहाँ जैसे ही इन सब बातों को आप उठाते हो आपको कांस्पिरेसी थ्योरिस्ट का तमगा थमा दिया जाता है.....
खैर जाने दीजिए ......यहाँ तो वैसे ही गिनी पिग रहते हैं ........कनाडा ने परसो कोविशील्ड लेने से इनकार किया तो मोदी जी ने सोचा कि देश के टॉप 10 अमीरों में अदार पूनावाला का नाम।आ गया है इसका नुकसान क्यो करे ?....
........सारा माल यही खपा देते हैं ओर ठुकवा देते हैं इसके इंजेक्शन सारे गिनी पिग्स को.......
तो कल ही आनन फानन में भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) ने आश्चर्यजनक रूप से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोरोना टीके कोविशील्ड के उपयोग की अवधि उसके निर्माण की तारीख से छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने तक कर दी .........
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) को लिखे एक पत्र में भारत के दवा महानियंत्रक वीजी सोमानी ने कहा कि एसआइआइ को ऐसे वायल जिनमें अभी लेबल नहीं लगाए गए हैं, उनमें उपयोग की अवधि नौ महीने डालने की मंजूरी दी जाती है।
इस भाषा से साफ है कि DGCI से यह अनुरोध सीरम इंस्टिट्यूट ने बकायदा एक पत्र लिखकर ही करा होगा !...... इस पत्र में क्या लिखा था इसकी कोई खबर नही है !.....
डीसीजीआइ ने कहा कि उन्हें 'कोविशील्ड टीके (10 खुराक- पांच मिलीलीटर) के उपयोग की अवधि छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने में कोई आपत्ति नहीं है।' सोमानी ने पत्र में कहा, 'आपको ऐसे वायल जिनमें अभी लेबल नहीं लगाए गए हैं, उनमें उपयोग की अवधि नौ महीने डालने की मंजूरी दी जाती है , साथ ही ऐसे आपको भंडार की जानकारी इस कार्यालय और सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी, कसौली को भेजनी होगी।'
बड़ा एहसान किया DGCI ने देश पर जो ऐसे भंडार की जानकारी माँग ली.....वेसे वो नही भी देगा तो आप उसका क्या उखाड़ लोगे ? बिल गेट्स का बन्दा है भाई वो ......WHO भी उसका जरखरीद गुलाम है क्योंकि बड़े से बड़े किसी देश से ज्यादा वार्षिक चन्दा तो बिल गेट्स देता है WHO को........
अब इस पोस्ट पर भी बहुत से तथाकथित विज्ञान विशेषज्ञ डॉक्टर आदि आएंगे और कहेंगे कि विज्ञान में तो ऐसा ही होता है.....
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