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प्रमोटी कलेक्टर मनीष सिंह खानदानी घोर भ्रष्ट, जिसके बाप मोती सिंह ने भोपाल का कलेक्टर रहते हुए जब जनता गैस कांड से गाजर मूली की़ तरह मर रही थी। तब रु पांच करोड़ लेकर उस एंडरसन को 6 दिसंबर को हवाई अड्डे पर छोड़ भगा दिया था। उसी का बेटा जो इंदौर में 15 सालों से सारे भू माफियाओं, कॉलोनी माफियाओं को गुटका माफिया को पालने वाला व संरक्षण दाता और भरे कर्फ्यु में जब जनता दाने दाने के लिए मोहताज थी। तब उस भेड़िए झुंड पार्टी के सांसद शंकर लालवानी के साथ मिलकर वह हरामखोर जालसाज किशोर बाधवानी के नकली कत्थे के जहरीले जनता को कैंसर बांटने वाले गुटके, सिगरेट के ट्रकों से रु7000 करोड़ के गुटके को टैक्स चोरी करके बिकवाने में लगा हुआ था। और समाचार पत्र वाले ये भांड की औलाद उसकी तारीफ में अपने को कुकर्मों को छुपाने के और मोटे लिफाफे के लिये कसीदे पढ़ रहे है, हरामखोर। कितने लोग मर गए शहर खाली हो गए क्या मौतों से? महामारी फैली थी। साल भर से। कर्फ्यू लगा कर जनता को दहशत बांट लोगों को घर पर बैठा बेरोजगार कर फिर भूख से मारने का षड्यंत्र चल रहा है।
फिर नगर निगम को पिछले 10 साल के मृत्यु के डाटा देने से क्यों रोका गया है? पिछले 10 सालों की मृत्यु के डाटा को उठा कर देख लीजिएगा पिछले 1 साल में कितने लोग उन औसत मौतों से ज्यादा मर गए।
और यही डाटा प्रदेश का और देश का उठाकर देख लीजिए कि पिछले साल के महामारी के पाखंड में 10 साल में कितने लोग मरे थे और पिछले साल में कितने लोग मरे उस डाटा से तुलना कर लीजिएगा सच्चाई समझ में आ जाएगी।परंतु जैसे नगर निगम को, मौतों के डाटा को देने से मना कर रखा है। वही हाल प्रदेश की सरकार का और वही हाल देश की भेड़िया झुंड पार्टी के जाहिल मोदी की सरकार का भी है उसने भी डाटा इंडिया पर बीमारी से होने वाली मौतों की मौतों की जानकारी को पिछले 1 साल से बंद कर रखा है।
आखिर जालसाजी केवल अपने पूंजीपति मित्रों अडानी, अंबानी, टाटा, बिरला, आईटीसी, यूनिलीवर के साथ, विदेश की अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट के वारेन बुफेट, अमेजॉन के जेनबेजोफ से मोटा धन लेकर, यह नाटक करने की आड़ में किसानों की जमीन छीनने के लिए भी चुपचाप 3कानून पास कर दिये गये। मेरे तथ्यों की सच्चाई पिछले 1 साल में हुए सारे महामारी के पाखंड को देखकर समझी जा सकती है।
आखिर विश्व स्वास्थ्य बिगाड़ो दहशत फैलाओ और अपनी उल्टी-सीधी दवाइयां टीके इंजेक्शन अपनी मनमानी कीमत पर बैचकर लूटो। पिछले 70 साल से इस डब्ल्यूएचओ ने इसके अलावा क्या किया?
फिर यह सब कुछ त्याग भी दें, हर मरने वाले जो लाखों मर गए उनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं होने दिया और अब जो मर रहे हैं उनका भी पोस्टमार्टम नहीं होने दे रहे हो।
आखिर यह पाखंड और जालसाजी क्यों? तुम्हारे पास साल भर बाद भी डाटा नहीं, वायरस नहीं, बीमारी नहीं दवाई नहीं टीका भी पूरा फर्जी इसके बाद में भी कर्फ्यू का नाटक नौटंकी कर, नगर की, प्रदेश की और देश की जनता को तबाह करने में यही सारे भ्रष्ट जालसाज कलेक्टर सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
और उसमें आग में घी का काम कर रहा है यह बिकाऊ भ्रष्ट भड़ुवों का समाचार पत्रों और टीवी का भेड़ियों का झुंड जो टूकड़खोर, घर के बैठ सामने बैठने वाले कुत्तों से भी ज्यादा गंदा है जिसका अनुभव पूरे साल भर में जनता ने कर लिया।
प्रभु नेे अगर पत्रकार होने का चोला ओड़ा ही दिया है, तो यह दायित्व है की जनता के आंख के आंसू पौंछकर, उसको सत्ताधीशों की भय और पीड़ा से मुक्ति के साथ सम्मानजनक रोजगार और दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करवाने के लिए हर संभावित प्रयास करूं।
प्रभु,
आशीर्वाद दीजिए मैं आपके कार्यों को सफलता के साथ संपन्न कर जनता के चेहरे पर मुस्कान लाने की जीवन की अंतिम सांस तक हर कोशिश करूं।
प्रस्तुति, लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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