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अजमेरा उवाच
जल संसाधन विभाग में बिना काम के भुगतान का मामला सामने जो अभी सामने आया वह अभी से ही अनेकों वर्षों से चल रहा है।
पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में तो हजारों करोड़ का भुगतान निविदा को स्वीकृत करते ही कर दिया जाता है एक 10 सालों में हजारों कोड का भुगतान करने के बाद में कई जगह तो काम भी शुरू नहीं हुआ और हर चुनाव से पहले भेड़िया झूठ पार्टी के मुख्यमंत्री शिवराज ने जाते-जाते नर्मदा घाटी में हजारों कोड के टेंडर स्वीकृत किए जाते रहे हैं जैसे सन 2008 में सन 2013 में और सन 2018 मैं यह खेल चुनाव से ठीक 2 महीने पहले किया जाता था। जिसमें टेंडर की कुल राशि का 10% अग्रिम कार्यशील पूंजी के लिए और 5% मशीनों के लिए स्वीकृत कर दिया जाता था उसमें चेक बंदरबांट हो जाती थी स्वाभाविक है जिस कंपनी ने 15% पैसा टेंडर की स्वीकृति के साथ नेताओं इंजीनियरों को बांट दिया वह काम करने में ज्यादा रुचि क्यों लेगी और वहां पर भी बिना काम के सैकड़ों करोड़ के बिल आधे अधूरे कार्यों के स्वीकृत कर दिये जाते थे।
उसकी जांच आज तक क्यों नहीं हो रही। जिसमें सतना के अधीक्षण यंत्री ने जिस टनल का भुगतान किया उसकी आज तक रिकवरी भी नहीं हो पाई ना वहां मशीनें थी और ना गुफा का काम शुरू हुआ। निचली नर्मदा परियोजनाओं और इंदिरा सागर नहर परियोजना में भी जो उदवहन सिंचाई जल परियोजनायें शुरू की गई। जबकि हर परियोजना में सबसे ज्यादा खर्च विद्युत का होता है और अधिकांश परियोजना चालू की जाने के बाद में भी विद्युत बिल के भुगतान के कारण अधिकांश समय बंद पड़ी रहती हैं। फिर भी उन में पैसा लगातार सैकड़ों करोड़ इसीलिए लगातार से करके जाते हैं ताकि उसमें मोटा कमीशन हजम किया जाता रहे और यही कारण है कि बीते 10 सालों से नर्मदा घाटी हमेशा मुख्यमंत्री के पास रहा।
उनके बारे में अभी तक कोई ना रोज जांच ना कोई तकनीकी रिपोर्ट कांग्रेश के निठल्ले मक्कार विधायकों द्वारा मांगी गई। यही कारण है कि हर बजट में उसके लिए मोटा प्रावधान किया जाता है चाहे धन हो या ना हो।
आखिर कांग्रेसी विधायकों को जनता ने क्या चुनकर इसीलिए भेजा है कि वो हरामखोर विधायकी की आड़ में अपने को कर्म करते रहें और जनता की आवाज सत्ता के भ्रष्टाचार लूट का सूट पेट्रोल डीजल की वसूली में भी विधानसभा में भी ना उठाएं।
जहां तक कपट नाथ और दिग्गी दोनों का सवाल है तो महीना मिलता है इनको करोड़ों रुपए में इसलिए यह विधानसभा में सत्ता के खिलाफ दबी छुपी आवाज ही बुलंद करते हैं जहां से इनका महीना चलता रहे और जनता को दिखता रहे।
जनता जागो बाहर निकलो और सत्ता देशों के भ्रष्टाचार, लूट खसोंट, महंगाई के खिलाफ आवाज उठाओ।
वरना सत्ता के भूखे भेड़िए तो जनता का खून पी ही रहे हैं।
निवेदक लेखक एवं प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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