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भारत के बिकाऊ शुकरों और श्वानों की दृश्य और श्रव्य प्रसार माध्यमों के दूरदर्शनी व मुद्रित समाचार पत्रों पत्रिकाओं ने देश दुनिया की जनता को नहीं बताया की भारतीय रेल अब भारतीय रेल नहीं रह गई यात्री गाड़ियां 30% आईआरसीटीसी के अंतर्गत अंतरित कर के ठेकों पर चलाई जा रही हैं। जिन गाड़ियों में उन गाड़ियों के क्रम शून्य से शुरू होते हैं। वे सभी गाड़ियां पूर्णता निजी करण के क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम को सौंप दी गई है। 25% किराया बढ़ाकर विशेष गाड़ियों का दर्जा देकर उनमें लूट शुरू कर दी गई है। यही कारण है कि पूरी गाड़ियों को नहीं चलाया जा रहा। कर्मचारियों का वेतन भी जो उस संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं। पूर्ण वेतन भी नहीं दिया जा रहा। जितना काम उतना वेतन। जो बाद में आसानी से खंड खंड अलग-अलग देश व विदेश के पूंजीपतियों बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अंतरित कर ठेके पर चलाने का षड्यंत्र चल रहा है।
यही कारण है कि कोई भी पैसेंजर यात्री ट्रेनें अभी तक नहीं चलाई गई और रेलवे को बर्बाद कर हरामखोर चांडाल राक्षस खानदानी जन्मजात पनौती मोदी अमित शाह ने इस महामारी के आड़ में यह बड़ा षड्यंत्र रच कर यथार्थ में रेलवे को निजीकरण कर ही दिया है। देश बंदी के पहले जो १३हजार गाड़ियां चल रही थी और अधिकांश में समय पर आरक्षण भी नहीं मिलता था। उस रेलवे को इस घोर नीच चांडाल मोदी ने किस तरह बर्बाद किया है देश की जनता इसको समझें। मोदी के अंध भक्त सूअर के पिल्ले तो ₹300 प्रति लीटर तक का पेट्रोल, खरीदने की दुहाई दे रहे थे। अब रुपए 100 प्रति लीटर बिकने पर उन पिस्सुओं का पता नहीं है।
जनता इन सब को, साथ ही भविष्य में होने वाले हर चुनाव को ईवीएम से रोकने के लिए भी, बढ़ती पेट्रोल डीजल गैस विद्युत सड़कों पर टोल टैक्स दाल आटा सब्जी की कीमतें व उस पर ठोके का रहे जीएसटी की दरें, जीएसटी के ९३७ संशोधन से 10 करोड़ छोटेे उद्योगों व व्यापारियों को खत्म् करने वााले जीएसटी को खत्म करने, पुनः वेट लागू करने के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करें।
केवल किसानों और विद्युत मंडल कर्मियों के आंदोलन से कुछ नहीं होगा। फिर आज नहीं तो कल इन चांडालों के देश की बर्बादी और बेचने के षड्यंत्रों को रोकने के लिए सड़कों पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। जनता समझे जैसे 6 महीने देश बंधु और महामारी का पाखंड चेला वैसे कुछ दिन इस आंदोलन को चलाकर और परेशानी झेलने के लिए तैयार होकर सड़कों पर निकलना ही होगा।
निवेदक लेखक एवं प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा,
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
www.samaymaya.com
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