अजमेरा उवाच
जिनका शैशव से वर्तमान काल तक का जीवन, आपराधिक प्रवृत्तियों में, जेब काटना, चोरी चकारी, चमकाना, धमकाना, गुंडे, बदमाशी, लूट, वसूली, दंगे फसाद चंदा खोरी आंदोलन बाजी मैं गुजरा हो। स्वाभाविक सी बात है। वो नीच आपराधिक अपने कुकर्मों को बचाने नेता बनकर चड्डी धारी बन जाए।
फिर अगर छल कपट जालसाजी के साथ इसी चमकाने धमकाने के बल पर पहले सरकारी अधिकारियों को ईवीएम की जालसाजी करवा कर चुनाव जीतने में उसका उपयोग करें।
फिर पूरी सत्ता हथिया लें । तो क्या होगा? जो वर्तमान में हो रहा है। वही होगा।
अपनी लूट पाखंड के लिए घोर जालसाज नीच राक्षस देसी विदेशी पूंजी पतियों के साथ मिलकर और उनकी कठपुतली बनकर देश की जनता को बर्बाद करने के लिए, नये-नये शोषणकारी कानून बनाने, थोपने
विपक्ष के नेताओं को डराना, धमकाना, मारना-पीटना, उनकी संपत्तियों छीनने, परिवार के लोगों को परेशान करने, हत्याएं करना, डरा धमका कर उनका मुंह बंद करना, देश से बाहर भगाना, ना मानने पर राज्यसभा विधानसभा लोकसभा में हंगामा, भारी हो हल्ला करना, बजट के समय कानून पास करते समय इस रणनीति को अपनाकर बिना वोटिंग करवाएं अपने मनमानी तरीके से कानून पास करवाकर जनता पर थोपना।
उसका शोषण करना, जैसा कि भेड़िया झुंड पार्टी की सरकार पिछले 6 सालों से लगातार करती चली आ रही है, जैसा कि नोटबंदी जीएसटी और किसानों के विरुद्ध लगाए गए कानूनों में हुआ।
उसके इन कुकर्मों के विरुद्ध आवाज उठे, तो प्रसार माध्यम पर कब्जा करने के साथ-साथ सामाजिक प्रसार माध्यमों को प्रतिबंधित कराना, संचालकों को डराना धमकाना जैसा कि फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप के साथ में पिछले 6 सालों से लगातार किया जा रहा है।
बेशक उनको जनता से पेट्रोल डीजल गैस में 4गुने कर ठोककर, करों से लूटा हुआ हजारों करोड़ के धन का भारी मोटा भुगतान किया जाता है।
इसके बाद में भी ना मानने पर हर संदेश वीडियो ऑडियो की पूरी जासूसी करने, शब्दों को बदलने, हेरफेर करने, उड़ा देने रोक देने बंद कर देने के बाद में भी जब इच्छा ना भरे, संचार साधनों को मंद करना, बंद करने के लिए सत्ताधारी स्वच्छंदता का अपनी आपराधिक प्रवृत्तियों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
शायद मोदी के अंध भक्तों को भी बात समझ में आ गई होगी।
वह भेड़ीये है जो कल तक मुट्ठी भर होकर भी हर सदन में विधानसभाओं राज्यसभा लोकसभा में सत्ताधारी दल पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते थे अब लुटेरे तंत्र बनाकर लोकतंत्र की हत्या करने के साथ में जनता का भी खुलेआम हर तरह से खून पीने पर तुले हैं।
अब राजनीति और धर्म से ऊपर उठकर जनता का हर वर्ग जागृत हो और सड़कों पर निकल कर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के साथ देश की संपत्तियों को बचाने का भी आंदोलन चलाएं।
प्रस्तुति निवेदक एवं लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
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