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सारी विद्युत कंपनियों का संविलियन पुनः विद्युत मंडल में किया जा कर पुनः विद्युत मंडल खड़ा किया जाए यह मांग भी इसमें शामिल करो।
5 विद्युत कंपनियों को मंडल तोड़ कर 2001-02 में बनाया गया था खत्म कर पुनः मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के साथ,
सारे देश में सारी विद्युत कंपनियों को खत्म कर राज्य विद्युत मंडल बनाए जाएं।वहां का अध्यक्ष इंजीनियर हो ना कि इंडियन एब्यूजिंग सर्विस ऑफिसर अर्थात भारतीय प्रशासनिक बनाम प्रताड़ना सेवा अधिकारी ना हो।
जो कोई तकनीकी स्तर का अधिकारी तो होता नहीं। उसका एक ही काम होता है लूटो खाओ। साल 2 साल में झाड़ पौंछ कर लूटो व बर्बादी कर निकल जाओ।
क्योंकि कंपनियां जिनमें इन हरामखोर आईएएस अधिकारियों को बिठा दिया जाता है। ये वो काठ के उल्लू होते हैं। जो हर जगह बैठ कर वहां तबाही मचा के अधिकारियों कर्मचारियों को प्रताड़ित कर लूटते, खाते रहते हैं।
क्योंकि इन कंपनियों में पिछले 20 सालों में लाखों-करोड़ की खरीदी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के थर्मल पावर प्लांट से, सौर, पवन विद्युत की कागजों पर खरीदी की गई। जनता को लूट कर उनको हजारों करोड रुपए हर महीने का बिना 1युनिट बिजली खरीदे मुफ्त में पावर ट्रेडिंग और जनरेटिंग कंपनियों के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।
जबकि विद्युत मंडल के खुद के ताप व जल पावर प्लांटों के उत्पादन को जानबूझकर कमजोर किया जा कर इन पूंजी पतियों के छद्म प्लांटों की चोगुने दरों पर मोटेे कमीशन पर विद्युत खरीदने की आवश्यकता बनाई रखी जाती है। ताकि उनको भुगतान किया जा सके। यह अत्यधिक महत्वपूर्ण तथ्य हैं जनता को लूटने जानबूझकर कंपनियों को घाटे में दिखाने और स्वयं के ताप व जल विद्युत उत्पादन केंद्रों का पूरा उपयोग ना करने के कारण यह कंपनियां भारी लूटपाट करती हैं।
इसीलिए इन हरामखोर जालसाजोंं नेे हीं इन कंपनियों को अलग-अलग बनाकर लूटपाट का षड्यंत्र रचा था। इसलिए इन सब को खत्म कर पूरा विद्युत मंडल बनाया जाना चाहिए। ताकि वह प्रदेश स्तर पर सारे कार्यों को तरीके से देखें और उत्पादन की जो सन 2000 पहले की प्लानिंग थी उसको ढंग से पूरा करने के साथ-साथ सौर, पवन और ताप के निजी प्लांटों की बिजली को खरीदने के किए गए हजारों करोड़ के समझौतों को अनावश्यक होने के कारण रद्द कर दे।
जब सारे ईंजीनियर व कर्मचारी हड़ताल कर ही रहे हैं। तो उसका पूरा सदुपयोग करें। ताकि भविष्य में विद्युत उत्पादन वितरण का ठोस नियोज़न करने के साथ प्रदेश स्तर पर पुनः मंडल बन जाने पर कार्य किया जा सके।
इसको सभी कर्मचारी अधिकारी और इंजीनियर समझें।
अन्यथा यह कंपनियां जिनका उद्देश्य मोटा लाभ कमाना लूटना और जनता को परेशान करना है कंपनीयां रहने तक करती रहेंगी।
मंडल में जो अकाउंटिंग सिस्टम होता है वह लाभ हानि नहीं प्राप्तियां और खर्च के आधार पर होता है।
जबकि कंपनियों का लेखा-जोखा लाभ हानि, प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट तलपट, अर्थात ट्रायल बैलेंस और चिट्ठा अर्थात बैलेंस शीट के आधार पर किया जाता है जब तक यह होता रहेगा तब तक यह भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी इस पर कुंडली मारकर लूटने के लिए आते जाते रहेंगे और यह प्रकार से सरकारें जब तक बेचने की नौटंकी करती रहेंगी इसलिए सबसे पहले कंपनियां खत्म करो वापस मंडल में संविलियन कर ने के लिए व्यापक आंदोलन ना केवल प्रदेश में और पूरे देश में चलाना होगा।
प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
www.samaymaya.com
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