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अजमेरा उवाच
2 दिसंबर 1984 रात 2:00 बजे यूनियन कार्बाइड के इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड प्लांट से जिओ मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव से लगभग 2लाख लोग मारे गए और अधिकांश को उस समय के तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह जो वर्तमान इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह का बाप था। लगातार 30 दिसंबर तक मरे हुए के साथ में अधमरों को भी इसी प्रकार जैसा कि कल आपने देखा इंदौर के नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ मुहिम के 35 साल पुराने ट्रक में गरीब भिक्षुक जिंदा लोगों को भरकर फेंकने गए थे। भोपाल नगर निगम के ट्रकों में भर भर कर नर्मदा में फिंकवा दिया था। मोती सिंह ने।
कल 29 जनवरी 2021 को तो गांव वालों ने पकड़ लिया इसलिए सारा मामला सामने आ गया। इसके पहले ऐसे ही सैकड़ों शिक्षकों को चुपचाप सुबह दिन निकलने से पहले स्टेशनों, इंदौर लक्ष्मी नगर, राजेंद्र नगर से, बस स्टैंड सरवटे, गंगवाल, तीन इमली से, भिक्षुकों, असहाय बुजुर्गों की भीड़ वाले राजवाड़ा, खजराना, बीजासन आदि के मंदिर क्षेत्रों से एमवाई, जिला अस्पताल, बीमा अस्पताल आदि क्षेत्रों से हजारों लोगों को उठाकर इसी प्रकार इन्होंने उन कितने हजारों को शहर के बाहर कहां-कहां फेंका। जितने आत्मविश्वास से वरिष्ठों के आदेश अनुसार वह कार्य कर रहे थे। उससे तो यही स्पष्ट होता है।
दूसरी तरफ इतने घोर भ्रष्ट, जालसाज मनीष सिंह को जिसने करीबन 15 साल से ज्यादा इंदौर में पूरे किए आखिर प्रमोटी कलेक्टर को इंदौर में 28 मार्च को बैठाया ही क्यों गया? महामारी की आड़ में उद्योगपतियों, व्यापारियों, फैक्ट्रियों, बड़े बाजारों के दुकानदारों को परेशान कर लूटने, वसूली करने, चिकित्सा के नाम पर भारी मोटी 50 से80% कमीशन पर खरीदी करने, कोविड-19 पर जबरदस्ती लोगों को उठा उठा कर नेताओं के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों में भर्ती करने और उसकी आड़ में ६०से ८०%मोटी वसूली करने, गरीबों के राशन व भोजन पानी व अन्य सुविधाओं के नाम पर ८०% तक धन डकारने,निगम और पालिकाओं को चुनाव ना करवा कर बड़ी-बड़ी कंपनियों को नाली, पाइपलाइन डालने के ठेके देने में, स्मार्ट सिटी के हजारों करोड़ के काम में मोटा धन वसूल करने के लिए, कलेक्टर मनीष सिंह अपनी खास प्रतिभा पाल को ले आया। इंदौर की जनता को महामारी के पाखंड की आड़ में कर्फ्यू लगा कर भयंकर तरीके से परेशान करने के बाद में भी इंदौर की जनता कुछ नहीं बोली।इसलिए उसको सफाई का पुरस्कार दिलवा दिया गया।
इतिहास अपने को दोहराता है।
फिर यहां महामारी की आड़ में सारा खेल लूट पाखंड और पूंजी पतियों अडाणी अंबानी, वालमार्ट, टाटा, बिरला, आईटीसी को सारा व्यापार सब्जी,भाजी से लेकर सारा किराना, को आनलाइन करने से लेकर तैयार वस्त्रों तक का फुटकर व्यापार सौंपने का षड़यंत्र था।
जिसके परिणाम सामने हैं, कि महामारी की आड़ में उनका 13 लाख करोड़ का व्यवसाय बढ़ गया और 12 करोड़ लोगों की नौकरी देशभर में चली गई।
मनीष सिंह ने सांसद शंकर लालवानी के साथ मिलकर किशोर बाधवानी का 7000 करोड़ का व्यवसाय करवा दिया गुटके सिगरेट का। और कस्टम एंड एक्साइज के इन्वेस्टिगेशन इंफोर्समेंट टीम ने इतना बड़ा कांड पकड़ने के बाद में भी घोर बेशर्म बदतमीज मुख्यमंत्री शिवराज के कानों पर जूं नहीं रेंगी और ना ही उसको हटाया।
स्वाभाविक बात है। इन बुजुर्गों को शिप्रा किनारे ले जाकर पटकने के मामले में भी मस्टर कर्मी और छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बना कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया।
पर कलेक्टर और निगमायुक्त पर कोई आंच नहीं आई जबकि इसके पहले भी गरीब ठेले वालों को मारने पीटने, सब्जी बेचने वालों को मारने पीटने सब्जी छुड़ा कर बेचने के मामले में भी भारी हो हल्ला मचा। पर जिनके इशारे पर यह किया गया उनको कोई आंच नहीं आई। भेड़ियों के झुंड को बुड्ढा मरे या जवान उन्हें तो नोचने खाने से काम।
प्रस्तुति व लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
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