अटल बिहारी के समय से ही ठेका भर्ती और नौकरी की शुरुआत ज्यादा हुई उसी के समय पूंजी पतियों से मोटा धन खाकर सबसे ज्यादा श्रम कानूनों में परिवर्तन

यह सारा लेख के माध्यम से जनता को बेवकूफ बनाने और किसानों के आंदोलन को बर्बाद करने का खेल भेड़ियों के झुंड पार्टी की आई टी सेल का है। 1999 से 2004 तक सरकार किसकी थी. रिलायंस फ्रेश ने ये अपने स्टोर कब खोले थे। रिलायंस और अड़ानी ने हीं सन 2001-2 से ही पूरे खाद्य व्यवसाय पर कब्जा करने के लिए सारे षड्यंत्र रचना शुरू कर दिए थे। उसी का परिणाम था दो हजार तीन चार में हीं अंबानी ने 550 स्टोर तो पूरे देश में खोल दिए थे। जो कांग्रेस सरकार 2004-14 में घाटे में चलने के कारण ढाई सो रह गये थे। जरा उसकी तरफ भी आंख उठाकर देखो बच्चों को या अधकचरे ज्ञान वालों को मूर्ख बनाया जा सकता है। बेशक दूध का धुला कोई नहीं है तो सब एक से एक बड़े नीचे कमी ने जनता को लूटने का षड्यंत्र रचते रहते हैं। पर निजी करण की शुरुआत अटल बिहारी की सरकार में प्रमोद महाजन और अरुण शौरी ने कर दी थी। उसी के समय में देश के अधिकांश विद्युत मंडलों का कंपनियों में भी विघटन कर दिया गया। जिन में भाजपा और कांग्रेस की सरकार थी पर जहां दूसरी सरकारें थी उन्होंने कंपनियों में विघटन नहीं किया। अटल बिहारी के समय से ही ठेका भर्ती और नौकरी की शुरुआत ज्यादा हुई उसी के समय पूंजी पतियों से मोटा धन खाकर सबसे ज्यादा श्रम कानूनों में परिवर्तन किया , सरकारी कंपनियों में विनिवेशीकरण के नाम पर मोटा कमीशन अरुण सूरी प्रमोद महाजन व सभी अन्य नेताओं ने हजम किया गया। सभी सरकारी उपक्रमों के जिसमें बैंकों के, तेल कं. सेल, भेल, रेल, गेल, ओएनजीसी, बीमा कंपनियों के शेयर बाजारों में आए। जिन्हें इतिहास नहीं मालूम उन्हें कुछ भी ज्ञान पेला जा सकता है।
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