देश और दुनिया के जालसाज पूंजीपतियों, सत्ताधीशों के बिकाऊ जाहिल टीवी समाचार श्रृंखलाओं और मुद्रित मीडिया के टुकड़खोर हुआ हुआ करने वाले भेड़ियों के पास खुद का तो ज्ञान नहीं, ना ही अध्ययन करना है। ना सच सुनना है, ना बोलना है, ना कहना है और जिन्होंने इनके झूठ का पर्दाफाश किया उसी को हरामखोर अफवाह फैलाना कहना शुरू कर देते हैं।
जबकि जालसाज डब्ल्यूएचओ का 70 साल का इतिहास स्वंय सारी कहानी सिद्ध कर देता है। जैसे कि
पिछले 40 सालों में एचआईवी एड्स का वायरस नहीं मिला। पर उसकी दहशत फैलाकर डब्ल्यूएचओ बनाम विश्व स्वास्थ्य बिगाड़ो और लूटो संगठन की सदस्य संस्थाओं ने लाखों करोड़ के कंडोम गर्भपात की गोलियां बेंचकर हजारों करोड़ हर साल कमाया। इसी प्रकार से करो ना का 9 महीने में वायरस तो क्योंकि बीमारी थी नहीं, तो मिलना भी नहीं है। पर विश्व स्वास्थ्य विभाग और लूटो संगठन की सदस्य दवा उत्पादक कंपनियों ने जो टीका लगभग 3 से 5 साल में तैयार होता है 9 महीने में बिना पारंपरिक जानवरों बंदर चिंपांजी आदि के परीक्षण के बिना चंद महीनों में उसके बिना वायरस के उस अदृश्य बीमारी का टीका अवश्य बना दिया। अब लाखों करोड़ का मोटी कमाई के लिए बैचने के लिए टीका अवश्य बना दिया।
कमीशन खाया हरामखोर स्वास्थ्य मंत्रालय उसके डॉक्टरों ने, सरकारी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिवों ने मंत्रियों ने।
वसूली की जाएगी जनता से और परीक्षण किया जाएगा जानवरों से ज्यादा बदतर स्थिति में आदमियों पर। और हरामखोर टीका भी खुद ही लगवा रहे हैं और टीका लगवाने से पहले घोषणा पत्र में कयों भरवा कर कि हां मैंने अपनी मर्जी से टीका लगवाया कुछ भी, बीमार होने से लेकर मौत भी हो जाए। उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं।
आखिर क्यों जैसे तुमने दहशत फैलाई, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मोटा लाभ पहुंचाने के लिए सारा बाजार तुम चांडालों ने चौपट किया।
२५ करोड़ों लोगों को बेरोजगार किया। लाखों फैक्ट्रियां बंद करवा दी।
सारे स्कूल बंद करवा दिए। ताकि सारा शिक्षा, सारा व्यवसाय, सभी सरकारी कंपनियां, देश की विदेश की इन बहुराष्ट्रीय चांडालों को बैचकर यह हरामखोर जालसाज मोटा पैसा हजम कर सकें।
उसके लिए महामारी का पाखंड फैलाकर दुनिया में तीन सौ करोड़ लोगों को बेरोजगार कर दिया गया।
आप उस पाखंड की कड़ी में टीके को जोड़कर भी मोटी कमाई की जा रही है।
जनता को खुजली नहीं हो रही है।
हरामखोंरो और मीडिया के चांडाल चुरकट भेड़ियों।
क्यों दहशत फैला कर जनता को टीका लगवा कर अकाल पहले बीमारियां बांट कर नामर्द बना कर मौत के मुंह में धकेल रहे हो?
आखिर तुम भी एक दिन मौत के शिकार होगे। जनता इस सच्चाई को समझें और दहशत के पाखंड से बाहर आकर टीका लगवाने से पहले सोचे।
निवेदक, प्रस्तुति एवं लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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