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इस देश के सबसे बड़े चांडाल, जालसाज, घोरभ्रष्ट, महा मक्कार अय्याश, कामचोर, सबसे बड़ी पूंजीपति और सत्ता के बीच के दल्ले होते हैं।
आईएएस भारतीय प्रशासनिक नहीं भारतीय प्रताणना सेवा अधिकारी जो इस देश की सत्ता पर 35 से 40, 45 साल तक देश की सत्ता को हांकते हुए कानून को अपनी पिछाड़ु जेब में लेकर चलते हुए लाखों करोड़ तक के मालिक जिनका हजारों से लाखों करोड और संपत्तियां देश के साथ विदेशों व बैंकों में भी होते ही हैं। नेता मंत्री मुख्यमंत्री राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सब इनके लिए शतरंज की बिसात पर बैठे हुए मोहरों से ज्यादा कुछ नहीं होते।
यह देसी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर नाच कर और विदेश यात्राओं विदेशी सुरा सुंदरियों के भोग के लिए देश के कानून बदलने, नए कानून थोपने, कानून की व्याख्या करने, अर्थ का अनर्थ करने, बारीक से बारीक कानून में रास्ते निकालने में अत्यधिक माहिर होने के साथ कानून का मजाक बनाने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाते।
देश की जनता कीड़े मकोड़े, सरकारी कर्मचारी भेड़ बकरियां, और अधिकारी पैदल सैनिक होते हैं।
देश की संपत्तियां इनके बाप की जागीर होती हैं। जैसा चाहते उपयोग करते हैं देसी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, भू, कालोनी खनन, टीका माफिया, दवा माफिया, व्यवसाय माफियाओं जालसाज ठगोरों के लाभ के लिए इनके पास मोटे कमीशन के बदले अनेकों रास्ते होते हैं।
बड़े से बड़ा नेता मंत्री इनके लिए कठपुतलियों से ज्यादा कुछ नहीं। क्योंकि सत्ता के गलियारों के सबसे बड़े पर्दे के पीछे के कठपुतलियों को नचाने वाले नियति नियंता ये ही होते हैं।
अभी जो किसान आंदोलन चल रहा है। उसके पीछे बनाये कानूनों के भी सारे खेल-खिलाड़ी यही है। कानून को वापस न लेने व पीछे ना हटने की जिद्द भी इन्हीं की है। परंतु इनका नाम कभी सामने नहीं आता और यह सारी क्रीम चाट कर डकार भी नहीं लेते।
जनता इसको समझे। इनको भी घेरे।
क्योंकि देसी विदेशी, सरकारें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस आदि, देशी विदेशी पूंजीपति और बहुराष्ट्रीय कंपनियां नेताओं मंत्रियों पार्टियों से ज्यादा इन पर दांव लगाकर अपने काम करवाती हैं और यह हजारों करोड़ कब जीम जाते हैं कब कानूनों का फायदा उठाकर विदेशों में भेज देते हैं। कानों कान भनक तक नहीं लगती। इनका सिक्का देश के 760 जिलों की जिला पंचायतों से लेकर और राष्ट्र के केंद्रीय व राज्यों के सभी मंत्रालयों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सब इन्हीं की फौज बैठी होती है। जो जितना भ्रष्ट होता है। उसे ही नेता मंत्री सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। ताकि वह उनकी मोटी कमाई करवाता रहे।
इसीलिए सेवानिवृत्ति के बाद में भी यह घोर भ्रष्ट जालसाज जो है अधिकांश मंत्रियों मुख्यमंत्रियों प्रधानमंत्री तक की पसंद बने रहते हैं। अपनी मौज मस्ती, अय्याशी, सत्ता का सुख भोगने के लिए, नेताओं मंत्रियों के लिए मोटे धन की व्यवस्था करते हुए पूंजी पतियों के इशारे पर नाचते हुए देश की बर्बादी का कारण भी यही बनते हैं।
यही है जो देश को बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हजारों लाखों करोड़ का कमीशन खाकर, कानून थोपकर गुलाम बनाने पर तुले हुए हैं। इसको जनता समझे।
करोना काल में भी जो उड़ाने विदेशों से भारत आती रही उनमें भी इन्हीं की औलादें और रिश्तेदार ही ज्यादा थे।
निवेदक लेखक एवं प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
www.samaymaya.com
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