देश में सभी निर्माण कार्यों के हर विभाग के ठेके चाहे वह सीपीडब्ल्यूडी हो मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग की सड़कें भवन निर्माण हो, नर्मदा घाटी कि नहरों का विस्तार पंप हाउस लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, नगर निगम पालिकाओं में, सड़कों भवनों नालियों साड़ी के निर्माण में पूरे देश में गुजराती ठेकेदारों का कब्जा है। बाकायदा सभी प्रदेशों में जहां-जहां भाजपा की सरकार हैं। वहां पर सारे बड़े ठेके गुजरातियों को ही दिए जा रहे हैं। ई टेंडरिंग वेंडरिंग सब गई तेल लेने। सारी घोषणाएं सारे निर्माण कार्य गुजरातियों और अपनी खास कंपनियों के टाटा, L&T को ध्यान में रखकर ही किए जाते हैं।
इंदौर में भी नालियों को ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कर रहा है कोई क्वालिटी का कंटूर मैप के हिसाब से लेबलिंग का और खुदाई का कोई खास लेखा-जोखा और नाक का ध्यान नहीं रखा जा रहा है क्योंकि अभी अधिकारियों के हाथ में सारी व्यवस्था है इसलिए वह मोटे मोटे डंडे लेकर मोटे मोटे काम करवा रहे हैं और मोटा कमीशन सीधा शहरी विकास मंत्रालय के मंत्री और प्रधान सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच रहा है।
जिसे इंदौर में व अन्य नगरों में देखा जा सकता है।
नई संसद भवन का निर्माण का उद्देश्य दो कार्यों से किया जा रहा है। ताकि एक तो मोदी का नाम शिलान्यास से अमर हो जाए उसका उद्घाटन से और दूसरा 25 हजार करोड़ में से सीधा 15हजार करोड़ का मोटा लाभ अपने मोटे कमीशन के साथ गुजराती कंपनी को मिल जाएगा। उन्हें चाहे कार्य का अनुभव हो या ना हो वह कैसा भी काम कर रही हों, उनका भुगतान उनके बिल के देने के साथ हो जाना चाहिए एक ही है दबाव भी सभी विभागों के कार्यपालन यंत्रीयों पर रहता है।
जैसे राम मंदिर के फैसले को करवा कर उसने पुनः उस की आधारशिला रखी और उद्घाटन किया ताकि उस राम मंदिर में जब तक राम मंदिर रहे। ताकि आने वाली पीढ़ियां प्रवेश से पहले उसके उद्घाटन में नाम को पढ़ें और उसका उसमें चुरकट का नाम चलता रहे। क्योंकि पढ़ा लिखा तो है नहीं आपराधिक मानसिकता का यह चांडाल उसे देश से मतलब नहीं देश की जनता से मतलब नहीं किसानों से मतलब नहीं उसकी अपनी वाहवाही उसका अपने नाम से मतलब है। जैसा कि वर्तमान में 6 साल के प्रधानमंत्री काल का और पुराने इतिहास के अध्ययन से निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
निवेदक एवं प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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