हिंदुओं के सबसे बड़े दुश्मन हिंदू ही होते हैं। अभी सर्वोच्च न्यायालय में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की याचिका पर सुनवाई चल रही है।
कितने बदतमीज है हमारे हिंदू, ये सारे कानून एक शादी, दो बच्चे जो एक बच्चा रह गया। शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने की सारी कहानी केवल हिंदुओं पर लागू होती है। जबकि इनकी औकात नहीं कि जो मुस्लिम लड़कियां 13- 14 साल के बाद शादी हो जाती है। 21 तक पहुंचते-पहुंचते ही 5 बच्चों की मां बन जाती है। एक मुस्लिम तीन तलाक कहकर तलाक भले ही न दे पाए। वह 1 की जगह 4 शादी और कर लेता है। पांच शादियों के पर अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया। वह 5 शादी करके 25 बच्चे पैदा कर सकता है। एक मुस्लिम आदमी।
उन पर कोई कानून नहीं कोई रोक-टोक नहीं। दूसरी तरफ आज आपने शिक्षा को भी ऑनलाइन कर दिया 1 घंटे शिक्षा और 3 घंटे अश्लील सामग्री से ही हमारी भारत की 14 साल की लड़कियों से लेकर लड़के तक उस अश्लील सामग्री से बढ़ती उम्र में आकर्षित होकर वे सारे यौन कर्म कर लेते हैं। और जहां हम शादी की उम्र घटाई जानी चाहिए थी। ताकि हमारे देश के हिंदू समाज का चरित्र हमारी लड़कियां बर्बाद ना होकर शादी करके घर बसा कर जीवन पर्यंत सारा पारिवारिक व यौनाचार का आनंद ले सकें। और तरीके से समाज को बचाया जा सके। अन्यथा 12-14 साल की उम्र से 21 साल की उम्र तक सीधी सी बात है लड़कियों की शादी नहीं होगी उसके पहले 24 घंटे टीवी मोबाइल इंटरनेट पर परोसी जाती अश्लील सामग्री से उत्तेजित हो वह अपना जीवन बर्बाद कर लेती है।
क्या 21 साल की उम्र तक अवैध योनाचार करके या उनको यौनाचार की अवैध लत डाल कर लड़कियों के साथ समाज को पूरा चरित्रहीन कर देना चाहते हैं।
21 साल की उम्र तक शादी भले ही ना हो और स्वच्छंद यौनाचार व वेश्यावृत्ति अवश्य हो।
फिर भारत एक गर्म देश की श्रेणी में आता है जहां वर्तमान में लड़कियां नौ 10 साल की उम्र से ही रजस्वला होना शुरू हो जाती हैं। वहां ऐसी अवस्था में 11 साल तक आप ऐसे ही उत्तेजना पूर्ण वातावरण में उससे ब्रम्हचर्य की उम्मीद तो नहीं कर सकते। स्वभाविक है कि वह वैधानिक रूप से 21 साल की उम्र की शादी से पहले स्वतंत्र यौनाचार और वेश्यावृत्ति करने के लिए स्वतंत्र हैं। जैसा कि वर्तमान में महानगरों से लेकर छोटे शहरों और गांवों में भी पूरे देश में हो रहा है।
क्या ये कंडोम और गर्भपात की दवाओं की कंपनियों के एजेंट इसीलिए हिंदुओं की 21 साल की उम्र के बाद शादी करवाना चाहते हैं लड़कियों की।
यह समझ में किसी को नहीं आ रहा। फिर सारे कानून हिंदुओं पर ही क्यों?
2 बच्चे, एक शादी, 21 साल की उम्र के बाद शादी आखिर क्यों? ताकि वह भागकर अपनी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए फिर यौनाचार की शारीरिक मांग को पूरा करने उल्टे सीधे लड़कों के चक्कर में, लव-जिहाद में फंस कर अपना जीवन बर्बाद कर ले और फिर भी 21 साल की उम्र में जब तक शादी हो तो उसकी जिंदगी में यौनाचार का आकर्षण भी खत्म हो जाए और घर परिवार का आकर्षण खत्म हो जाए। तरीके से समाज पूरा परिवार के अभाव में खंड खंड छिन्न-भिन्न बिखरता चला जाए और हमारी हिंदू समाज खत्म हो जाए। इसका षड्यंत्र है क्या?
फिर औकात हो तो महिला बाल विकास की, न्यायालयों की, पुलिस की तो मुस्लिम लड़कियों में 18 साल से होते कम उम्र के विवाह में देश में कितने केस पकड़े जाते हैं। यह बताया आज तक। ऐसे केेस पकड़ने की कहीं कोई औकात नहीं होती किसी सरकारी विभाग की वहां कोई कुछ नहीं बोल पाता सारे नियम कानून केवल हिंदूओं की कि समाज पर लागू होते हैं जब एक देश एक कानून क्यों नहीं पहले वह तो लागू कर लो और वह लागू कर लो तब यह कानून सभी पर एक समान हिंदू मुस्लिमों पर लागू किया जाना चाहिए अन्यथा 18 की उम्र घटाकर 16 किया जाना चाहिए। ताकि लड़कियां 24 घंटे टीवी मोबाइल इंटरनेट पर परोसी जाती उत्तेजक अश्लील नग्न सामग्री सहित यौनाचार के आकर्षण में फंस कर 12- 14 साल की उम्र से प्राकृतिक शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अवैध रूप से विवश ना हों।
बेहतर होगा शादी की उम्र को घटाकर एक किस की अपेक्षा 16 किया जाना चाहिए ताकि सुरक्षित तरीके से वह न केवल जीवन का आनंद ले सकें और तरीके से समाज को चलाया जा सके अन्यथा यह सारे कानून हिंदू समाज की घटती जनसंख्या और को खत्म करने के लिए पर्याप्त है।
हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ने की दर 1.8 है और मुसलमानों की 11% इसीलिए स्वाभाविक सी बात है 10-20 मैं हिंदू मुसलमानों की अपेक्षा आधे और 30 साल में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। जिनका फिर कोई वजूद नहीं रहेगा और पिछले 500 साल के इतिहास में कई देश में मुसलिम हो गये और भारत भी मुस्लिम राष्ट्र हो जाएगा। इसकी तरफ किसी तात्कालिक समाजसेवी की निगाह है जो अपने आप को महान बनने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाकर अपनी समाज को बर्बाद करने पर तुले हैं अतिज्ञानी, और बुद्धिहीन समाज के शत्रु।
इसको समझे और सर्वोच्च न्यायालय की उस अपील के खिलाफ supremecourtofindia@nic.in पर सीधे पत्राचार करें अन्यथा ये अति ज्ञानी 10 साल में हिंदुओं की संख्या को आधा कर देंगे और वैसे भी देश के कुछ राज्यों में हम अल्पसंख्यक हो चुके हैं। केरल कश्मीर बंगाल उत्तर प्रदेश असम मेघालय यहां पर हिंदू पहले से ही अल्पसंख्यक हैं।
इस बात को गहराई से समझा जाना चाहिए।
याचिका सर्वोच्च न्यायालय को खारिज कर देना चाहिये।
निवेदक प्रस्तुति एवं लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र
इंदौर
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