हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमार'
वैसे तो यह ब्रह्म वाक्य सत्ता में आने वाली हर पार्टी के हर नेता का होता है स्वाभाविक सी बात है सन 2006 से 2018 तक और मार्च 2020 से अभी तक भेड़िया झुंड पार्टी ने इसी ब्रम्ह वाकय के दम पर पूरी सत्ता को हांका चलाया लूटा खाया है।
और हर विभाग में यहां गृह निर्माण मंडल के मनोज शिवाले और मनोज श्रीवास्तव घोर ढीठ, भ्रष्टों को एक ही स्थान पर 20-20, 30-30, 35-35 साल तक जो उपयंत्री से भर्ती हुए थे सहायक यंत्री की सारी भ्रष्टाचार, बर्बादियों जालसाजियों के उपरांत भी घोर हरामखोरों को मोटा धन लेकर सहायक यंत्री की पदोन्नति दे दी गई। उनके भ्रष्टाचार लूट के साथ एश केश व सुरासुंदरी की सेवा से प्रसन्न होकर पूर्व के गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष मोघे ने उन्हें प्रभारी कार्यपालन यंत्री बना दिया गया जिनके बारे में मैंने पूर्व में भी इस समय माया समाचार पत्र में छपा था बदले में उन्होंने मुझे डराने धमकाने के लिए नोटिस भेजे थे और उस नोटिस के जवाब में उनको मैंने खुली चूनौती दी थी कि न्यायालय में आओ और प्रकरण लगाओ इसके बाद यदि उल्टा ही मैने तुम्हे जेल के सीखचो तक नहीं पहुंचा दिया तो नाम बदल दीजिएगा पर उन हरामखोर प्रभारी कार्यपालन यंत्रीओ ने जिनके बारे में मैंने उनके मुख्यालय और प्रधान सचिव से पूछा था कि इतने अघोर भ्रष्टों ने जो मुझे नोटिस भेजे हैं पहले क्या विभाग से नोटिस भेजने की अनुमति ली थी ना उन्होंने जवाब दिया और ना ही प्रकरण दर्ज किया अन्यथा वैसे मुझे नव भारत जबलपुर में लोग
तीन चार लोगों को अकाल ही केवल कहने के बाद मृत्यु हो जाने के कारण हत्यारा के नाम से पुकारा जाता था मुझे तो आगे बढ़ते तो निश्चित ही बेशक मैं कुछ नहीं करता हूं पर उलझने के बाद 2- 3 अकाल ही धरती से विदाई ले लेते हैं।
और यह बचपन से देख रहा हूं।
इसलिए मेरे सच बोलने और लिखने के बाद कोई उलझता है तो भगवान से मेरी उसको अकाल विदाई की व्यवस्था करने की इच्छा जरूर व्यक्त करता हूं।
इनको भी चाहता था कि आगे बढ़ कर उन्हें वैसे तो आदमी अपनी पापों कुकर्मों से स्वयं अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है। पर वह बीच में मेरे आ जाने से मुझे आरोपी अवश्य बना जाता है।
अभी सबसे महत्वपूर्ण इन हरामखोर मनुष्य वाले और मनोज श्रीवास्तव जो पिछले 30 सालों से ग्रैंड मांड मंडल के ट्रकों में स्वयं ही साझेदारी करके काम करवाते हैं और मोटा कमीशन वर्धन हजम कर जाते हैं स्वभाविक सी बात है क्या खेल चल रहा है और कैसे काम हो रहा होगा उसका अनुमान आम आदमी लगा सकता है आईटीआई इंदौर में अपने परदेसी पुरा परिसर स्थित भवन निर्माण का ठेका गृह निर्माण मंडल को दिया था। जिसके कालम खड़े किए गए। कॉलम खड़े करते समय ही गिर गए थे। इसके बावजूद उन कॉलम को सुधार कर उस पर छत डाल दी गई। जिससे छत भी चटकी और दीवाले में चटक गई।
24 दिसंबर को गृह निर्माण मंडल आयुक्त इंदौर आ रहे हैं। उनको उस आईटीआई के नवनिर्मित भवन की एक्स-रे इंस्ट्रूमेंट से अंदर की लोहे की बड़ी टॉरोट की मोटाई नापने से लेकर उपयोग किए गए सीमेंट कंक्रीट गिट्टी और बजरी का भी फोटो व नमूना लेना चाहिए। वैसे तो प्रतिवर्ष 23 करोड़ रुपए का केवल रखरखाव के नाम पर ही झूठे ब्लू और वचनों से यह आजम करते हैं और पर पहुंचा देते हैं इसीलिए प्रभारी कार्यपालन अभियंता बनने के बाद में भी 5 साल गुजर गए पर उनको नौकरियां से हटाया गया और 35 साल की सेवाओं के बाद ना ही यहां से स्थानांतरण किया गया। नहीं संपत्तियों और रितिक 35 साल में सभी निर्मित भवनों प्लाटों की की गई हेरा फेरी इसका उसको उसका स्कोर भवन ऊपर करके करके दूसरों के कच्चे करवाने में यह गैंग बहुत सिद्ध हस्त है। फिर भेढ़िया झुंड पार्टी की सरकार का तो ब्रह्म वाक्य है "हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमार'
क्या उपायुक्त दोहरे जी अपने
आयुक्त को आईटीआई में भवन के चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण करवाएंगे।
साथ ही जिस शॉपिंग कंपलेक्स में हर साल लाखों रुपए का स्वयं गृह निर्माण मंडल निर्माण कार्य मरम्मत कार्य करवाता है। उस शॉपिंग कंपलेक्स को तोड़ने के लिए और वहां के निवासरत दुकानदारों और निवासियों को लूटने मोटी वसूली करने के लिए उस कंपलेक्स को तोड़ने का 3-4 सालों से तोड़ने का जो षड्यंत्र किया जा रहा है।
जबकि उसे बने हुए मात्र अभी 30-35 साल ही हुए हैं। ताकि यह दोनों जालसाज उसमें 10 20 करोड़ की मोटी कमाई कर सकें क्योंकि वह परियोजना 500 करोड़ की है।
के षड्यंत्र को भी मंडल आयुक्त को समझना चाहिए।
निवेदक एवं प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
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