अजमेरा उवाच
मोटी बहुराष्ट्रीय कंपनियों कि जेनेरिक मेडिसिंस बनाने वाली अकेले सन 2000 से 2005 तक इंदौर की ही लगभग 400 इकाइयों को खत्म कर दिया गया। इसी की आड़ में क्योंकि छोटी इकाईया कम चंदा देती हैं और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां दवा बनाने वाली वह पूरा ही खड़िया मिट्टी भी बेंचती रहे। देश की जनता पर ड्रग ट्राई करती रहें और 60 परसेंट निजी व सरकारी अस्पतालों से निकलने वाले लोगों की मौत का कारण बनती रहे। उन्हें कोई तकलीफ नहीं है यहां तो सब जानवरों की फौज है ना जिनकी मौत का तांडव करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पेट भरते रहो और उनकी ऊंची कीमत की दवाइयां खरीद कर अपनी जिंदगी बचाने का जिंदगी भर दंश व पाखंड झेलते रहो।
यह देश भूखे भेड़ियों के हाथ में है उन्हें कहीं से भी मिले कुछ भी मुफ्त मिले यौनाचार मिले विदेशी दारू मिले विदेश यात्राएं मिले वह देश को बेच देंगे उसके लिए।
मुकेश ने अपनी बीवी नीता का हाथ क्या सौंपा मोदी को, उसके पति के हवाले गिरवी कर रहा है लाखों किसान मर रहे हैं कल के मरते आज मरे उसे कोई तकलीफ नहीं तो बाकी कहानी स्वयं बुद्धिमान लोग हैं आप भाजपा की आईटी सेल के पढ़े लिखे। समझदार है ही।
थोड़ो लिख्ये ज्यादा भनजो।
तमारो
प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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