सं. क्र.1 लो नि वि इंदौर में पदस्थ ई. राजेंद्र जोशी जो पूर्व के सिंहस्थ 2016 का भ्रष्टाचार के महानायक
वर्तमान कार्यपालन यंत्री संभाग क्र.1 लो नि वि इंदौर में पदस्थ ई. राजेंद्र जोशी जो पूर्व के सिंहस्थ 2016 के भ्रष्टाचार के महानायक हैं। सिंहस्थ के बचे हुए गद्दे तक भर लाये थे। वर्तमान में भी इन्होंने कोविड-19 की महामारी के नाम पर वेरीकेडिंग, व अन्य व्यवस्थाओं वगैरह में मोटी कमाई की। महान अपने इतने कि वाहन के सहायक अशोक सिंह ठाकुर को जो ना तो माली है, न चौकीदार, न चपरासी है, वर्कचार्ज कर्मचारी हैं। अपना खास बंदा है इसलिए उसे एक पलासिया में पीडब्ल्यूडी के क्वार्टर में है। दूसरा एक उपयंत्री का गांधी हाल में भी क्वार्टर दे रखा है। और वेतन में से कटोत्रा एक ही का किया जा रहा है। दूसरा जब संभाग में वाहन नहीं है। तो जहां वाहन है संभागीय कार्यालय में वहां पदस्थ क्यों नहीं जाता। भ्रष्टाचार के ई. जोशी ने ना केवल बड़े आयाम स्थापित किए वरन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सिंहस्त में मोटी कमाई करके देने के कारण पुरस्कार भी प्राप्त किया। भ्रष्टाचार शिरोमणि का, 5000 हे. कृषि भूमि को समतल कर उस पर साधुओं को आश्रम हेतु भूमि आवंटित की गई उस काम में मोटा गया धन कमाया गया। फिर उस भूमि को जहां आश्रम बने हुए थे पुन: कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया। सड़कें भवन वेरीकेडिंग की व्यवस्था आदि में कामचलाऊ व्यवस्था कर करोड़ों रुपए की खेल खेले गए। उसी से खुश होकर इंदौर में पदस्थ किया। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचारी के कारण भगाया गया। परंतु बंदे ने मोटा पैसा खर्च किया और पुनः इंदौर आ गया। रु 18लाख हवाला के माध्यम से अपने दामाद को आस्ट्रिया भेजें। सन 2019 मैं भी ऑस्ट्रिया गया था। अभी इनका खास इनके गृह जिले खरगोन का बाबू निम्न श्रेणी लिपिक शैलेंद्र पंवार जिसने अनेकों गलत चेक काट कर भुगतान करवा दिए। वहां पर भी जहां उच्च श्रेणी लिपिक होना चाहिए निम्न श्रेणी लिपिक को बैठाकर मनचाहे तरीके से खूब भ्रष्टाचार किया जा रहा है और भुगतान करवाये जा रहे हैं। वैसे अपनी नेताओं की पहुंच की वजह से पवार सिंहस्थ में भी इनके साथ उज्जैन में डेरा डाले था। ये उज्जैन से इंदौर आए। तो साथ में उस खास बाबू को भी लाए। ताकि भ्रष्टाचार से दोनों ही मोटी कमाई कर सकें और राज, राज रहें। इस इस दिन में श्रेणी लिपिक को प्रभार देने के लिए उचित श्रेणी लिपिक को हटाने के लिए मंत्री से शिकायत कर उसको हटाया गया और उसने में श्री लिपि को किस ने लिपिक का प्रभार देकर सारे बिलों के भुगतान आदि का कार्य सौंपा गया।
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