कीमतें बढ़ रही हैं, हर सामान की।
बस कीमत गिर रही है, तो इंसान की।
जिधर देखो उधर मुंह फाड़े खड़े हैं।
सियासत के दंडधारी नोंचने आम इंसान।
कोई सफेद एप्रैन में है, कोई खाकी में।
कोई भगवा में है, कोई सफेद खादी में।
दंड धारी सत्ताधारी है, इनकी पहचान।
बस कीमतें बढ़ रही हैं, तो शैतान की।
वैसे तो कोई कीमत नहीं, आम इंसान की।
X. X. X. X. X
सियासत दां और डॉक्टर
बहुराष्ट्रीय कंपनी और पूंजी पतियों के लिए
मौत का महोत्सव मना रहे हैं।
अपनी मौज मस्ती के लिए
देश को गुलाम करने
6 महीने से बीमारी की दहशत फैला रहे हैं।
चिकित्सालय चिकित्सा की अपेक्षा
लूट का तांडव कर
जिंदे लोगों की भी हत्या कर उनके अंग निकाल कर बैच कर खा रहे हैं।
अपने कुकर्मों को छुपाने,
लाखों की हत्या कर दहशत फैला रहे हैं।
बीमारी का पाखंड कर आम को घरों से उठा रहे हैं।
शिक्षा, व्यवसाय गरीबों का चौपट कर,
देश बंदी का पाखंड कर, देश लुटा रहे हैं
पूंजी पतियों के चरणों में लोट लगा रहे हैं।
सियासत दां मौत का महोत्सव मना रहे हैं।
लेखक व प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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