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चुनाव खत़म हो गयेे, तो फिर आ गया औकात पर लौट कर पुन: सरकार रेले बंद कर रही है। और लॉकडाउन कि पुन: तैयारी चल रही है।
स्वाभाविक है, देश की जनता उसके रोजगार और जनता की भूख मिटाने मुझे पुराने अप्रैल-मई वाले स्वरूप में लौटना होगा।
पत्रकारों ने देख लिया की सारी महामारी का पाखंड केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए है इसके लिए यह मिडिया के भांड और भडुवे ही जिम्मेदार हैं जो सरकार की सियारों की भांति हुआ हुआ चिल्लाते रहते हैं। परंतु सच लिखने बोलने और चिल्लाने के लिए कोई तैयार नहीं।
समझ गए अस्पतालों में काढा ही पिलाना है तो घरों में काढ़ा पिलाकर जनता को स्वस्थ रहने की सलाह देकर उनको रोजगार करने रोजी-रोटी चलाने की छूट को बरकरार रखा जाना चाहिए।
निवेदक व प्रस्तुति
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
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