आखिर अमेरिका चीन रूस जापान ब्रिटेन जर्मनी कनाडा फ्रांस मैं ईवीएम से चुनाव क्यों नहीं होते ईवीएम पूरा फ्रॉड है और आपने देखा आसानी से लोगों ने ब्लूटूथ से भी उसको हैक करके भी कर लिया था।
बेशक मोदी के अंध भक्त फिर रोना रोएंगे कि जीत गए कि ईवीएम का फ्रॉड पिछली बार तीन विधानसभा में हरवाई गई थी क्योंकि तीनों के मुख्यमंत्री तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके थे। और उनके हाथ प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने लगे थे। इसलिए मोदी ने जानबूझकर उस वार् जालसाजी को अंजाम नहीं देने दिया पर अब सन 2023 तक मोदी की गद्दी को कोई खतरा नहीं। इसलिए अब सब जगह खुलकर जालसाजी की जा रही है और पूरा राज्यसभा लोकसभा के सांसद देश की अधिकांश विधानसभाओं में बीजेपी के विधायक ही आएंगे अब। ताकि राज्यसभा में भी उनकी बढ़ोतरी हो जाए और वह आसानी से पूंजीपतियों के इशारे पर नाच कर पूरे देश के कानून बदल कर सत्ता को, देश की संपत्तियों को सार्वजनिक उद्योगों को लाखों हेक्टेयर वन भूमि, रेलवे, सड़कें, नदियां, पहाड़, तालाब, देश के सारे उद्योग धंधे मंडिया बाजार बंद करके पूंजी पतियों के हवाले कर दें वह देश को लूटते रहे और देश पुनः गुलाम बन जाए।
यह साजिश किसी को समझ में नहीं आ रही।
देश में साडे 7 महीने का देश बंदी का पाखंड ना केवल देश के 140 करोड़ जनता नेे हीं बल्कि देश की दुनिया की ७८० करोड़ जनता ने भी देख लिया।
।।जिस देश में 3लाख बच्चे रोज पैदा होते हैं वहां 1लाख आदमी प्रतिदिन मरेगा। तो कौन सी नई बात हो गई। जिसमें पूरा देश बंद कर दिया गया और मरने वाले 90% पुरानी बीमारियों के शिकार थे। वही मरे और दूसरी तरफ मरने वालों में जानबूझकर जिनको अस्पतालों में ले गए जानबूझकर दहशत फैलाने के लिये मार डाला गया़। मरने वाले अधिकांश सब निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय ही थे। ना उच्च मध्यमवर्गीय अमीर मजदूर सफाई कर्मचारी नेता अभिनेता कोई नहीं मरा। क्योंकि वह सब अमर फल खाकर आए हुए हैं।
अगर बीमारी थी। और हवा में वायरस फैल रहा था तो प्रदूषण साफ क्यों हो गया? अगर बीमारी थी तो पशु पक्षी जानवर पेड़ पौधे वनस्पतियां सबको प्रभावित होना चाहिए था। परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
मैं 22 मार्च से लगातार लिख रहा हूं की सर्दी खांसी हर बदलते हुए मौसम में आज से नहीं हजारों साल से हो रही है और हमारे घरों की रसोई पूरी आयुर्वैदशाला है और इसमें रखें हल्दी लहसुन अदरक लॉन्ग इलायची दालचीनी कालीमिर्च इन सब का एक काढ़ा बनाकर पिएंगे तो आप स्वस्थ रहेंगे और आप देख रहे हैं की अंत में भारत के जाने-माने चिकित्सा संस्थान एम्स से लेकर नीचे सारे अस्पतालों में काढ़ा ही पिला कर ही सबको घर भेजा गया।
जब बीमारी के वायरस का पता ही नहीं और उसकी कोई सही निश्चित औषध ही नहीं तो क्यों फिर यह पाखंड किया गया। व पूरा देश बंद किया गया केवल पूंजी पतियों के लिए। उसकी आड़ में रेलवे को पिछले साढे 7 महीने से बंद किया गया है वह मात्र अभी तक 5% रेलें ही शुरू की गई हैं। मूल उद्देश्य बीमारी नहीं था मूल उद्देश्य अपने 151 ट्रेनों को पूंजी पतियों का हवाले करने के लिए उनको अधिकतम सुरक्षित और बेहतरीन समय की व्यवस्था की जा सके ताकि अधिकतम यात्रियों की संख्या मिले वो पूंजी पतियों का मोटा लाभ करवाया जाये और धीरे-धीरे रेलवे का निजीकरण कर दिया जाए।
वा देख लिया आपने ₹20 का पेट्रोल उसकी आड़ में ₹90 बेंचा जा रहा है। जिससे पिछले 4 महीनों में ही सरकार को 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का पेट्रोल से लाभ कमाया गया है। इसके विपरीत मोदी उसके चांडाल मंत्री चिल्ला रहे हैं अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी और धन नहीं है तो बड़े जोर शोर से जीएसटी लगाया गया था आखिर पेट्रोल पर क्यों नहीं लगाए जा रहा और 40% केंद्र व 40% राज्य सरकारें उस पर टेक्स् थोप कर मोटी कमाई कर रही है। फिर भी धन न होने का रोना रोकर कर्मचारियों का वेतन काटा जा रहा है। उनकी वार्षिक वेतन वृद्धि और महंगाई नहीं दी जा रही है। देश की सारी योजनाएं रेल सड़क बिजली पानी नहरों बांध, व अन्य योजनाओं मेें धन देना बंद कर दिया बेरोजगारों की भर्ती बंद कर दी गई है। यह शायद मोदी के अंध भक्तों को बिल्कुल गवारा नहीं होगा।
पर मोदी के मूर्ख अंधभक्तों मेरे सच को निगलना भी बहुत मुश्किल होगा तुमको।
पूंजी पतियों को धन लुटवा कर उस घाटे की भरपाई कैशलेस के नाम पे चल रहा है ऑनलाइन लेन देन के माध्यम से बैंकों में चार लेन देन के बाद में आपको ₹200 का चार्ज देना पड़ रहा है। ₹1लाख से ऊपर ज्यादा नकदी पर, धन निकालने पर सब पर आपको शुल्क देना पड़ रहा है नोटबंदी के नाम पर जनधन खाता खुलवाने के नाम पर भी रु6 लाख करोड गरीब लोगों का इन बैंकों ने न्यूनतम शेष के नाम पर २० करोड़ खातों से हजम कर लिया गया है।
बैंकों में बचत खाते पर ब्याज कम कर दिया गया है।
दूसरी तरफ धनाभाव का रोना रोकर अब उसकी आड़ में जहां-जहां भाजपा की सरकार बनी है। राज्य में 30% वेतन भी काटा गया व काटा जाएगा जैसा कि केंद्र में काट दिया गया है।
शायद यह कहानी मोदी के अंध भक्तों को समझ में नहीं आएगी कि ईवीएम की जालसाजी से पर देश की सत्ता पर कब्जा किया गया और उसके बाद में 6 साल में तबाही का तांडव किया जा रहा है।
पूंजीपति मित्रों को हजारों करोड़ बैंकों से दिलवा कर उस पिछड़ा वर्ग के मोदी ने देश से बाहर भगा दिया और भागने वालों ने सैकड़ों करोड में चंदा बीजेपी को दिया और सुरक्षित तरीके से भागने के उनको साधन उपलब्ध करवाए गए।
स्विट्जरलैंड की बैंकों ने सन 2017 में बताया था कि 3 साल में जितना पैसा 65 साल में स्विट्जरलैंड की व विदेशी बैंकों में पहुंचा था। उसका आधा पैसा 3 साल में मोदी और उसके मंत्रियों अधिकारियों ने व्यवसायियों मित्रों ने वहां पहुंचा दिया था और सन 2020 तक जब देश मंदी की मार झेल रहा था सारा पैसा यहां से हटा कर करके विदेशों में पहुंचाया जा रहा था और स्वीटजरलैंड की सन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार उससे कहीं ज्यादा पैसा जो 65 साल में पहुंचा था। विदेशी और स्विटजरलैंड के बैंकों पहुंचा दिया गया है।
यह कमल का ईवीएम केे फ्रॉड का हीं तो कमाल है।
मैं सन 2006 से लगातार बोल व लिख रहा हूं कि देश में ईवीएम से चुनाव करवाना बंद किया जाना चाहिए।
निवेदक व लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदौर
www.samaymaya.com
|