तुलसी सिलावट की तारीफें करने वालों जब कांग्रेस में स्वास्थ्य मंत्री था़। तब भी शुद्ध के नाम पर विशुद्ध वसूली का युद्ध चला रहा था। दोनों बेटे नर्सों के ट्रांसफर से लेकर डॉक्टरों के ट्रांसफरों तक दोनों हाथ से वसूली कर रहे थे। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों पर इंदौर के दबाव था की। गुटका व्यापारी से 25 करोड रुपए दिलवाओ। गद्दारी कर कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा में शामिल हुआ और वहां भी जल संसाधन मंत्री बन गया बनते ही साथ अरबों रुपए की जल उदवहन परियोजनाएं शुरू करवा दी। जबकि 1980 में जल संसाधन विभाग ने जल उदवहन परियोजनाओं को बिजली के भारी खर्च और रखरखाव के कारण सिंचाई के लिए अनुपयुक्त मानकर त्याग दिया था दूसरी तरफ विधायक ना रहते हुए भी मंत्री बन जाने के बाद में हर कार्यपालन यंत्री से मोटी वसूली मांग रहा था जबकि तालाबंदी के कारण पूरा देश बंद पड़ा हुआ था सारे काम बंद पड़े हुए थे सारे ठेकेदार काम छोड़ कर जा चुके थे। आखिर जल संसाधन कार्यपालन यंत्रीओ के उस तालाबंदी में भी इतने स्थानांतरण क्यों हुए, मात्र मोटे धन के लिए। यह कड़वा सच किसी भी समाचार पत्र ने नहीं छापा। जबकि वसूली का कार्यक्रम चारों तरफ तालाबंदी में भी चलता रहा, और नई योजनाओं के धड़ाधड़ उदघाटन किए जाते रहे। एक तरफ सरकार चिल्ला रही थी कि पैसा नहीं है और दूसरी तरफ चुनाव जीतने के लिए जहां-जहां विधानसभा के उपचुनाव होने हैं वहां पर नई-नई योजनाओं के उद्घाटन किए जा रहे थे क्या था यह तारीफ करने वालों खुला पाखंड जनता को भ्रमित करने के लिए यह शायद समझ में नहीं आ रहा होगा,
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