7 महीने के पाखंड को जनता के चप्पे-चप्पे ने समझा है. और यदि आप मानव रूप में पैदा हुए हैं. आप भी अन्न खाते हैं। बुद्धिशाली हैं। तो आपको 7 महीने का राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर का जो जनता को निचोड़ने उन्हें गुलाम बनाने का पाखंड चल रहा है। महामारी के नाम पर इस को बेहतर तरीके से समझ लेना चाहिए।
आप लोग जो दहशत बांटने का काम कर अपने आप को महान बुद्धिजीवी बनने का पाखंड कर रहे हैं।
आप अपना अस्तित्व लेकर पैदा हुए अपनी बुद्धि अपना दिमाग है। दूसरे चांडाल चाटूकारों और बहुराष्ट्रीय कंपनी के गुलाम सूअरों के इशारों पर नाचने वाले मोदी और सारे सूकर हरामखोर आईएएस अधिकारी डॉक्टर यह जनता का खून पीने वाले वह नीच इंसान है। जिनका काम केवल कानूनों के नाम पर जनता को दहशत बांटकर अपनी लूट और पाखंड को छुपाने जनता को नोचना उनका खून पीकर उन्होंने डरा धमका कर उनके मुंह पर पट्टियां बांध दी गई है। 24 घंटे हाथ धोने का पाखंड चिपका दिया गया है।
यह इस प्रकार के जो वीडियो भेज कर आप अपने आप को महान बन रहे हैं जनता को मूर्ख समझ रहे हैं।
मरने वालों में देश के 50 लाख सफाई कर्मी उद्योगों ईट भट्टों खेतों में काम करने वाले मजदूर करोड़पति लोग उच्च वर्ग के और मुस्लिम लोग क्यों नहीं मरे? आखिर मरने वालों में निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय लोग ही क्यों थे? फिर 90% लोग पुरानी बीमारियों के शिकार थे 10% लोग मौसम के उच्चावचन से सर्दी खांसी जन्य बीमारियों के शिकार हो गए जो कि हजारों वर्ष से होता रहा है। नई कौन सी महामारी फैल गई और जो शिकार लोगों का मैंने 100 से ज्यादा का अध्ययन किया। अंत में निमोनिया के शिकार थे 70%।
फिर मैं तो अप्रैल से कह रहा हूं हर मरने वाले का पोस्टमार्टम क्यों नहीं करवाया इन पाखंडी जालसाज धूर्त डॉक्टरों और सरकार ने।
यह कभी अपनी अक्ल से सोचा और पूछा अपने आप से, और जनता से मीडिया से सरकार से डॉक्टर नीचों से, जो बीमार होगा वह स्वयं आएगा। क्यों निम्न मध्यमवर्गीय मध्यमवर्ग हिंदुओं को घरों से उठा उठा कर ले जा ले जा कर उनकी हत्या की जा रही है। अस्पतालों में,
कुल मिलाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जो देश के सारे छोटे लघु उद्योगों बाजारों शिक्षण संस्थान सारे रेलवेज सारे यातायात बसों को बंद कर सारे उद्योगों को चौपट करना। ताकि पूरे देश पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा हो और वह देश की जनता को और देश को भी निचोड़ती रहै। बदले में अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठाना। उस घोर नीच चांडाल मोदी ने कर दिया ना।
फिर भी समझ में नहीं आ रही।अक्ल काम नहीं कर रही है अपनी। जो अभी तक सियारों की भांति हुआ हुआ चिल्ला रहे हैं।
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