सरकारी स्कूलों में अंकसूची लेकर अगली कक्षा की निजी छात्र के तौर पर परीक्षा देने की हो व्यवस्था
विद्यार्थियों का साल बचाने और पालकों का बोझ कम करने वह निजी स्कूलों की लूट से बचाने के लिए निम्नानुसार दी गई योजना का भी क्रियान्वयन किया जा सकता है।
इंदौर में प्रदेश व देश के सभी जिलों के सभी शासकीय विभागों में जो भी कर्मचारी और अधिकारी जिला अधिकारी आते हैं। स्वाभाविक सी बात है। बिना मोटा धन खर्च किए मंत्रियों प्रधान सचिव को दिए बिना नहीं बैठाये जाते। ऐसे ही इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी संजय गोयल जो बैठाया गया है। स्वाभाविक सी बात है।मोटा धन लेकर ही बैठाया गया। यदि उसने एक करोड रुपए दिया है तो वह सारा पैसा निजी स्कूलों से ही वसूला जाएगा और निजी स्कूलों से तभी वसूला हो पाएगा। जब निजी स्कूलों को लूट की पूरी छूट दी जाएगी। और निजी स्कूल वाले किससे लूट करेंगे। वह लूट करेंगे बच्चों के पालकों से, चाहे बच्चों के बालकों के पास दो वक्त की रोटी की व्यवस्था ना हो ,रोजगार ना हो, खरीदने के लिए मोबाइल ना हो, रहने के लिए घर का किराया देने के लिए ना हो, परंतु अगर आपके बच्चों को स्कूलों में पढ़ाना है, तो स्कूलों की लूट के सामने सर झुकाना ही पड़ेगा। यह हरामखोरी बदतमीजी स्कूल वालों की मनमानी और लूट का पाखंड इसलिए भी बना रहता है। क्योंकि अधिकांश स्कूल गुंडे बदमाशों नेताओं अधिकारियों के धन से ही चल रहे होते हैं। पालकों के लिए बेहतर यह होगा कि वह अपने बच्चों को घर पर ही पढायें। व सरकारी स्कूलों में 8वीं 10वीं 12वीं की परीक्षा देने वालों के साथ साथ जो दूसरी कक्षा में हैं। उनकी भी प्राइवेट फॉर्म भरने की व्यवस्था की जाए। सभी सरकारी स्कूलों में ताकि जिन पालकों के पास मोबाइल खरीदने के लिए, रहने के लिए घर का किराया चुकाने के लिए, दो वक्त के भोजन की व्यवस्था हो ना हो, कम से कम बच्चों को मार्च-अप्रैल में सरकारी स्कूलों में हर कक्षा की प्राइवेट परीक्षा शिक्षा विभाग स्कूलों में करवा कर, जिसमें मात्र छात्रों की पूर्व के वर्ष की अंकसूची लेकर बिना किसी प्रमाण पत्र के, क्योंकि प्रमाण पत्र देने में भी स्कूल वाले मोटी वसूली करेंगे, उस बच्चे की फोटो के साथ उसकी अंकसूची लेकर उसको अगली कक्षा की परीक्षा लेने की तैयारी सरकार पूरे प्रदेश में और देश में हर स्कूल में सरकारी स्कूल में कर दे। सरकारी स्कूल परीक्षा लेकर उन बच्चों की अंकसूची व प्रमाण पत्र जारी कर दे। यह करके बच्चों का साल बचाने के साथ उनके माता-पिता के ऊपर भी आर्थिक भार नहीं आएगा और यह निजी स्कूलों की मनमानी भी रोकी जा सकेगी। इसके तुरंत ही सरकार का शिक्षा विभाग हर कक्षा का इंग्लिश व हिंदी माध्यम के बच्चों के लिए हर कक्षा की जो पाठ्य पुस्तकें हैं। उनका पाठ्यक्रम विषय की सूची और किताबों की सूची सार्वजनिक रूप से जारी कर, बच्चों को तैयारी करने के लिए कह दिया जाए। ताकि निजी स्कूलों के बंधन से मुक्त होकर अपने बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ उनका साल बचा सकें और यह कार्य सरकार थोड़ी सी ज्यादा मेहनत करके भी आसानी से करवा सकती है। बेशक इस मामले में भी जिला शिक्षा अधिकारी चुकी मोटा धन देकर आया है। धन वसूलने के लिए इस शिक्षा पद्धति को लागू नहीं होने देंगे।
पर जनता को इस बात की मांग करनी चाहिए। बाद में जिस कक्षा की वे परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो उस कक्षा की अंकसूची व प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था सरकारी स्कूलों में न्यूनतम शुल्क पर की जाये।
ताकि वे निजी स्कूलों की लूट के खिलाफ पालक अपने बच्चों का भविष्य संरक्षित कर सकें।
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