सन् 2006 चुनाव से लगातार कह रहा हूं की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पूरी जालसाजी भरी मशीन है।
जैसा कि हवाई जहाज उड़ाने के प्रशिक्षण लेते समय वैमानिकी से संबंधित पुस्तकों के अध्ययन पर मैंने सबसे महत्वपूर्ण एक बात पढ़ी थी, की मनुष्य ने मशीनों को बनाया है उसको जिस प्रकार से बनाकर चलाने के लिए निर्देशित करेंगे वह वैसे ही चलेगी।
चाहे हवाई जहाज हो, मोटरसाइकिल हो, कार हो, घर का मिक्सर या टीवी कूलर, कंप्यूटर, वह वैसे ही चलेंगे। मनुष्य उसके चलाने में गलती कर सकता है। मशीन चलने में गलती नहीं करती।
आप जानते हैं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में आपने जैसे उस को बनाया, निर्देशित किया है। वह वैसे ही काम करेगी उसमें जीपीआरएस, जीपीएस, डब्ल्यू एल एल, रिमोट, ब्लूटूथ आदि सभी दूर निर्देशों का पालन करने के लिए बनाई मशीन है। और उसमें जैसी कमांड भरी जाएगी जैसे कि हर 5 वोट में 3 वोट बीजेपी के वह आप कैसे भी वोट डालें प्रिंटर कुछ भी प्रिंट निकाले परंतु दिए हुए निर्देशों या दिल्ली में बैठकर हर मशीन के कोड के आधार पर मोबाइल की तरह उसकी संख्याओं को आप आसानी से प्रबंधित कर लेते हैं। वह लाख स्ट्रांग रूम में रखी जाए या बैंक की बड़ी तिजोरी के अंदर, बाहर आते ही काउंटिंग से पहले भी उसको आप कमांड देकर अपने हिसाब से वोट संख्या निकाल सकते हैं। और यह काम कलेक्टर बखूबी तरीके से अंजाम देता है सब को दिखाता है। उससे क्या होता है?
18 अप्रैल 14 को शाम 4:30 बजे एक टेलीफोन इंदौर जिला कलेक्टर ऑफिस से आया सर मशीन लॉक कर रहे हैं।आप आ जाइए। तो मैंने उसको फोन पर ही बोला मैंने कहा भैया मैंने एक ₹10000 में मोबाइल खरीदा था तीन भाई 5 इंच का वह मोबाइल 3 साल से सीने से लगा कर घूम रहा हूं मुझे आज तक नही मालूम उसमें क्या कैसे कितने फंक्शन हैं?
तो मैंने कहा तुम्हारी वह डेढ़ फुट बाई6 इंच की मशीन मैं तुमने क्या किया फिट कर रखा है। w.l.l. है, वाईफाई है, जीपीआरएस है, जीपीएस है, ब्लूटूथ, रिमोट, ब्लूरे कहां कैसे क्या फिट कर रखे हैं। मैं तो इस बारे में भी अनपढ़ हूं। हार्डवेयर इंजीनियर भी नहीं हूं जो मैं उसमें जांच लूं कि कहां क्या कैसे फिट करके कैसे दूर बैठकर चलाई जा सकती उसका कोड क्या है मुझे क्या मालूम आप तो लॉक कर लो जैसे आपको लॉक करना है।
मेरे आने का कोई फायदा नहीं। तत्काल पलट के कर्मचारी बोला, सर मैंने आपके बारे में बहुत सुना था। पर आपसे आज बातचीत करके मुझे लगा सचमुच आप बहुत सही सटीक न केवल लिखते हैं बल्कि सही और सटीक जवाब देते भी हैं। मैं समझ गया आप जो कहना चाहते हैं।
मेरी बातों को छिछोर बुद्धि मजाक में उड़ाते हैं।
पर डबरा की बिनां विधायकी मंत्री इमरती देवी ने वह सच सीधे स्वीकार करके स्पष्ट कर दिया कि सारा खेल जिले के घोर जालसाज, भ्रष्ट, कलेक्टर ही करते हैं। बस स्तर का कलेक्सन मिलना चाहिये।
अब आप कहेंगे की फिर तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार क्यों बन गई? तो आपको बता दें
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के तीनों मुख्यमंत्री तीन तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे। और केंद्र का निर्देश था। कि यह पुनः मुख्यमंत्री ना बने। वरना उनके हाथ प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचेंगे इसलिए इन्हें हरा दो।
इसलिए उन्हें हराया गया था ताकि उनके हौसले बुलंद होते होतै तक
मोदी की कुर्सी तक ना पहुंचे और अरमान ठंडे कर दिए जाएं।
दूसरी तरफ तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक की अत्यधिक अग्रिम स्तर पर बैठे राष्ट्रों अमेरिका इंग्लैंड जर्मनी जापान कनाडा फ्रांस चीन रूस मैं आखिर ईवीएम से चुनाव क्यों नहीं होते।
आखिर भारत में ईवीएम से ही चुनाव क्यों करवाए जाते हैं यह बकवास बंद कीजिए धन ज्यादा खर्च होता है तो धन नेताओं तुम्हारे बाप यहां रख छोड़कर नहीं गए थे। देश का धन देश में खर्च होगा। खर्चा बढ़ेगा, तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जनता का पैसा है। तुम लाखों करोड़ लूट कर खा जाते हो लोगों के कर्ज माफ कर देते हो।
तो कागज के मतपत्र से चुनाव कराने में क्या तकलीफ आती है और क्यों अपनी होशियारी दिखाते हो। ताकि आसानी से जालसाजी से चुनाव जीत सको।
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